पत्थर के खिलौने
एक जगदीश नाम का लड़का था उसे गाड़ियों से खेलने का बहुत शौक था जब भी वह दुकान देखता या कहीं घूमने जाता और वहां अगर खिलौने की दुकान दिख जाए तो बस जिद करने लगता और कहता मम्मी मुझे वह कार चाहिए तब उसकी मम्मी कहती नहीं बेटा तुम्हारे पास पहले से ही बहुत सारे खिलौने हैं
अब एक भी गाड़ी नहीं मिलेगी तब वह रोने लगता है और कहता है नहीं मुझे चाहिए मुझे चाहिए रोते-रोते जगदीश कभी जमीन में गिर जाता है कभी लूटने लगता है और जिद करके खिलौने खरीदवा लेता है और मन भर उन खिलौनों से खेलता लेकिन उसके बाद खिलौनों को ऐसे ही बिखेर कर चला जाता
एक दिन उसकी मम्मी बाहर से आए और उनके साथ उनकी सहेलियां भी आई थी आदर्श की मम्मी कहती हैं आदर्श देखो तो कौन आया है लेकिन जब उनकी सहेलियां घर का वह हाल देखती हैं तब बोलती हैं क्या हाल बना रखा है जगह-जगह खिलौने फैले हुए हैं
तुमने उसे वापस रखना नहीं सिखाया इतना कहकर सहेलियां चली जाती है और कहती हैं मैं फिर कभी आऊंगी सहेलियां तो चली गई पर उसकी मम्मी बहुत गुस्से में थी उसने गुस्से में आदर्श पर चिल्लाना शुरू कर दिया और कहा मैंने तुम्हें कितनी बार कहा है
अपने खिलौने अपनी जगह पर रखा करो आज के बाद तुम्हें एक भी खिलौने नहीं मिलेंगे लेकिन आदर्श को उनकी बात का कोई असर नहीं हुआ फिर उसकी मम्मी ने जितने खिलौने पड़े थे उनमें से आधे खोलो ने छुपा दिए जब अगले दिन आदर्श ने खेलने के लिए अपने खिलौने निकाले
तो उसे अपनी फेवरेट कार नहीं मिली आदर्श फिर अपनी मम्मी से कहता है मम्मी मेरी रेड वाली कार देखी है और येलो वाली जीप भी मुझे दिखाई नहीं दे रही और वह बड़ी टैक्सी कहां है मम्मी लेकिन उसकी मम्मी ने कोई जवाब नहीं दिया फिर आदर्श अपने बाकी खिलौनों के साथ खेलने लगा
खेलने के बाद खिलौने ऐसे ही छोड़ कर अपने दोस्तों के साथ खेलने चला गया मम्मी ने जब देखा तो उसे बहुत दुख हुआ और कहती है यह लड़का पता नहीं कब सुधरेगा कुछ तो करना ही पड़ेगा फिर उसकी मम्मी ने जो खिलौने बचे थे उनमें से आधे खिलौने फिर छुपा दिए
कुछ दिन के बाद आदर्श अपनी मम्मी से कहता है मम्मी मेरे खिलौने बहुत से नहीं मिल रहे सच बताओ कहां हैं वरना मुझे नया ला दो तब उसकी मम्मी ने कहा बेटा मैंने पहले ही कहा था अब तुम्हें एक भी नया खिलौना नहीं मिलेगा जो खिलौने हैं उन्हें भी तुम ठीक से संभाल कर नहीं रखते
तभी आदर्श कहता है मेरे पुराने खिलौने तो दे दीजिए मम्मी कहती है तुम्हें कहां से चाहिए खिलौने इसलिए जो खिलौने इधर-उधर फेंक कर चले गए थे उसे मैंने गरीबों में बांट दिए आदर्श कहता है क्या मेरे खिलौने गरीबों में बांट दिए मैं आपसे कभी बात नहीं करूंगा आप अच्छी मम्मी नहीं है मुझे मेरे खिलौने चाहिए
और वह रोने लगा अभी आदर्श की मम्मी कहती है तुम्हें तुम्हारे खिलौने चाहिए तो तुम्हें वहां ले चलती हूं जिन्हें मैंने खिलौने दिए हैं तब आदर्श अपनी मम्मी के साथ चला जाता है उसके घर के पीछे कुछ गरीब लोग झोपड़ी बनाकर रहते थे उसकी मम्मी आदर्श को वही ले गई
वहां से आती हुई बदबू से बचने के लिए आदर्श ने अपनी नाक बंद कर दी और कहने लगा मम्मी वहां कचरे का ढेर तो देखिए कितनी बदबू आ रही है छी यहां कोई कैसे रह सकता है तभी उसकी मम्मी कहती है बेटा पैसे संभाल कर रखो तब आदर्श अपनी मम्मी से कहता है
ओहो कहां से ले आई गंदी जगह पर तभी उनकी नजर तीन बच्चों पर पड़ती है वह तीनों खेल रहे थे एक कहता है मेरी गाड़ी तेरी गाड़ी से टकरा गई दूसरा कहता है अरे जा जा मेरी टैंपू में तेरा सामान है चल नुकसान भर तीसरा कहता है तुम लोगों ने सिग्नल नहीं देखा चलो मैं पाइप को काटता हूं
तभी आदर्श अपनी मम्मी से कहता है मम्मी यह बच्चे क्या खेल रहे हैं और इनके हाथ में पत्थर क्यों हैं तभी उसकी मम्मी ने कहा बेटा यह इन पत्थरों को अपनी गाड़ी समझकर खेल रहे हैं इन्हीं पत्थरों को कभी गुड्डे गुड़िया बनाकर खेलते हैं और कभी घर भी बनाकर खेलते हैं
क्योंकि इनके मां-बाप के पास एक भी खिलौने खरीदने के लिए पैसे नहीं है और देखो इतनी गंदगी में रहते हैं फटे कपड़े और खाने को बासी खाना फिर भी उनके चेहरे पर मुस्कुराहट देखी है तभी आदर्श कहता है हां मां सब हंस रहे हैं सब बहुत खुश हैं
तभी बच्चों का खेल खत्म हो जाता है और वे बच्चे एक छोटे कपड़े में अपने पत्थर लपेटकर फटी हुई पेंट के साथ बांध देते हैं और हंसते हंसते खिल खिलाते वहां से चले जाते हैं तभी उसकी मम्मी कहती है
देख आदर्श यह रास्ते के मुफ्त में मिले पत्थर जब उनके खिलौने बन गए तो उन्हें कितने प्यार से संभाल कर वह अपने घर ले गए और तुम बेटा तभी आदर्श कहता है मां आज के बाद मैं तुम्हें कभी शिकायत का मौका नहीं दूंगा उसकी मम्मी खुश होकर कहती है मेरा लाडला बेटा तुम्हारे खिलौने मैंने किसी गरीब को नहीं दिए वही घर पर रखे हैं चलो घर जा कर देती हूं
शिक्षा= खुशी ज्यादा खिलौने से नहीं मिलती पर जो मिला है उसको अच्छा इस्तेमाल करने से और उन्हें संभाल कर रखने से मिलती है
अब एक भी गाड़ी नहीं मिलेगी तब वह रोने लगता है और कहता है नहीं मुझे चाहिए मुझे चाहिए रोते-रोते जगदीश कभी जमीन में गिर जाता है कभी लूटने लगता है और जिद करके खिलौने खरीदवा लेता है और मन भर उन खिलौनों से खेलता लेकिन उसके बाद खिलौनों को ऐसे ही बिखेर कर चला जाता
एक दिन उसकी मम्मी बाहर से आए और उनके साथ उनकी सहेलियां भी आई थी आदर्श की मम्मी कहती हैं आदर्श देखो तो कौन आया है लेकिन जब उनकी सहेलियां घर का वह हाल देखती हैं तब बोलती हैं क्या हाल बना रखा है जगह-जगह खिलौने फैले हुए हैं
पत्थर के खिलौने hindi story
तुमने उसे वापस रखना नहीं सिखाया इतना कहकर सहेलियां चली जाती है और कहती हैं मैं फिर कभी आऊंगी सहेलियां तो चली गई पर उसकी मम्मी बहुत गुस्से में थी उसने गुस्से में आदर्श पर चिल्लाना शुरू कर दिया और कहा मैंने तुम्हें कितनी बार कहा है
अपने खिलौने अपनी जगह पर रखा करो आज के बाद तुम्हें एक भी खिलौने नहीं मिलेंगे लेकिन आदर्श को उनकी बात का कोई असर नहीं हुआ फिर उसकी मम्मी ने जितने खिलौने पड़े थे उनमें से आधे खोलो ने छुपा दिए जब अगले दिन आदर्श ने खेलने के लिए अपने खिलौने निकाले
तो उसे अपनी फेवरेट कार नहीं मिली आदर्श फिर अपनी मम्मी से कहता है मम्मी मेरी रेड वाली कार देखी है और येलो वाली जीप भी मुझे दिखाई नहीं दे रही और वह बड़ी टैक्सी कहां है मम्मी लेकिन उसकी मम्मी ने कोई जवाब नहीं दिया फिर आदर्श अपने बाकी खिलौनों के साथ खेलने लगा
खेलने के बाद खिलौने ऐसे ही छोड़ कर अपने दोस्तों के साथ खेलने चला गया मम्मी ने जब देखा तो उसे बहुत दुख हुआ और कहती है यह लड़का पता नहीं कब सुधरेगा कुछ तो करना ही पड़ेगा फिर उसकी मम्मी ने जो खिलौने बचे थे उनमें से आधे खिलौने फिर छुपा दिए
कुछ दिन के बाद आदर्श अपनी मम्मी से कहता है मम्मी मेरे खिलौने बहुत से नहीं मिल रहे सच बताओ कहां हैं वरना मुझे नया ला दो तब उसकी मम्मी ने कहा बेटा मैंने पहले ही कहा था अब तुम्हें एक भी नया खिलौना नहीं मिलेगा जो खिलौने हैं उन्हें भी तुम ठीक से संभाल कर नहीं रखते
तभी आदर्श कहता है मेरे पुराने खिलौने तो दे दीजिए मम्मी कहती है तुम्हें कहां से चाहिए खिलौने इसलिए जो खिलौने इधर-उधर फेंक कर चले गए थे उसे मैंने गरीबों में बांट दिए आदर्श कहता है क्या मेरे खिलौने गरीबों में बांट दिए मैं आपसे कभी बात नहीं करूंगा आप अच्छी मम्मी नहीं है मुझे मेरे खिलौने चाहिए
और वह रोने लगा अभी आदर्श की मम्मी कहती है तुम्हें तुम्हारे खिलौने चाहिए तो तुम्हें वहां ले चलती हूं जिन्हें मैंने खिलौने दिए हैं तब आदर्श अपनी मम्मी के साथ चला जाता है उसके घर के पीछे कुछ गरीब लोग झोपड़ी बनाकर रहते थे उसकी मम्मी आदर्श को वही ले गई
वहां से आती हुई बदबू से बचने के लिए आदर्श ने अपनी नाक बंद कर दी और कहने लगा मम्मी वहां कचरे का ढेर तो देखिए कितनी बदबू आ रही है छी यहां कोई कैसे रह सकता है तभी उसकी मम्मी कहती है बेटा पैसे संभाल कर रखो तब आदर्श अपनी मम्मी से कहता है
ओहो कहां से ले आई गंदी जगह पर तभी उनकी नजर तीन बच्चों पर पड़ती है वह तीनों खेल रहे थे एक कहता है मेरी गाड़ी तेरी गाड़ी से टकरा गई दूसरा कहता है अरे जा जा मेरी टैंपू में तेरा सामान है चल नुकसान भर तीसरा कहता है तुम लोगों ने सिग्नल नहीं देखा चलो मैं पाइप को काटता हूं
तभी आदर्श अपनी मम्मी से कहता है मम्मी यह बच्चे क्या खेल रहे हैं और इनके हाथ में पत्थर क्यों हैं तभी उसकी मम्मी ने कहा बेटा यह इन पत्थरों को अपनी गाड़ी समझकर खेल रहे हैं इन्हीं पत्थरों को कभी गुड्डे गुड़िया बनाकर खेलते हैं और कभी घर भी बनाकर खेलते हैं
क्योंकि इनके मां-बाप के पास एक भी खिलौने खरीदने के लिए पैसे नहीं है और देखो इतनी गंदगी में रहते हैं फटे कपड़े और खाने को बासी खाना फिर भी उनके चेहरे पर मुस्कुराहट देखी है तभी आदर्श कहता है हां मां सब हंस रहे हैं सब बहुत खुश हैं
तभी बच्चों का खेल खत्म हो जाता है और वे बच्चे एक छोटे कपड़े में अपने पत्थर लपेटकर फटी हुई पेंट के साथ बांध देते हैं और हंसते हंसते खिल खिलाते वहां से चले जाते हैं तभी उसकी मम्मी कहती है
देख आदर्श यह रास्ते के मुफ्त में मिले पत्थर जब उनके खिलौने बन गए तो उन्हें कितने प्यार से संभाल कर वह अपने घर ले गए और तुम बेटा तभी आदर्श कहता है मां आज के बाद मैं तुम्हें कभी शिकायत का मौका नहीं दूंगा उसकी मम्मी खुश होकर कहती है मेरा लाडला बेटा तुम्हारे खिलौने मैंने किसी गरीब को नहीं दिए वही घर पर रखे हैं चलो घर जा कर देती हूं
शिक्षा= खुशी ज्यादा खिलौने से नहीं मिलती पर जो मिला है उसको अच्छा इस्तेमाल करने से और उन्हें संभाल कर रखने से मिलती है
पत्थर के खिलौने
Reviewed by Anand Singh
on
May 11, 2020
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