टैक्सी वाली पत्नी
एक रवि नाम का आदमी अपनी पत्नी दुर्गा और अपनी मां के साथ रहता था रवि की मां को कुछ साल पहले लकवा मार गया था तब से वह बिस्तर पर ही पड़ी रहती थी तभी रवि आता है और कहता है देखो मां आज मैं क्या लाया हूं
तभी उसकी मां कहती है अरे वाह कैरी यह तू मेरे लिए लाया है या बहू के लिए तभी रवि कहता है तू भी ना मां तुम्हें कैरी पसंद है इसीलिए तुम्हारे लिए ही लाया हूं और दोनों हंसने लगते हैं रवि एक टैक्सी ड्राइवर था उसने आज ही अपनी खुद की टैक्सी खरीदी थी
दोनों टैक्सी की पूजा कर रहे थे दुर्गा ने नारियल फोड़ा तभी रवि कहता है अरे अरे आराम से कहीं शीशा ना फूट जाए तभी दुर्गा बोली आप भी ना अच्छा चलो इस टैक्सी की सैर करते हैं रवि और दुर्गा टैक्सी की सैर करने निकल गए
दुर्गा बोली टैक्सी चलाना बहुत मुश्किल होता है रवि बोला बिल्कुल नहीं बहुत आसान है तुम भी सीख सकती हो दुर्गा बोली ना बाबा ना लोग क्या कहेंगे रवि बोला यही कहेंगे कि मैं तुम्हें गाड़ी चलाना सिखा रहा हूं अच्छा यह देखो इसे स्टेरिंग कहते हैं दाएं पांव के नीचे एक्स लेटर होता हैं जिससे गाड़ी दौड़ती है रवि दुर्गा को गाड़ी सिखाने लगा
रवि दुर्गा को एक खाली रास्ते में ले गया और वहां उसे ड्राइवर सीट पर बिठा दिया दुर्गा डरी हुई थी धीरे-धीरे रवि ने दुर्गा को गाड़ी सिखाई और फिर कुछ ही दिनों में दुर्गा गाड़ी चलाने लगी रवि का छोटा सा परिवार बहुत खुश था
लेकिन एक दिन रवि रोड क्रॉस कर रहा था और उसका एक ट्रक से एक्सीडेंट हो गया तभी रवि खूब चिल्लाया तो उसे कुछ लोग हॉस्पिटल ले गए मगर अब रवि चल नहीं सकता था जैसे मानो रवि और दुर्गा पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा
कुछ दिनों बाद रवि को घर लाया गया लेकिन अब वह कुछ नहीं कर सकता था तब रवि कहता है यह क्या कर दिया भगवान अब मेरे परिवार का कौन ख्याल रखेगा यह कहकर रोने लगता है दुर्गा कहती है शांत हो जाइए ना रवि बोला मुझे लगता है टैक्सी बेच देनी चाहिए
कुछ दिनों का खर्चा तो चलेगा दुर्गा बोली नहीं नहीं फिर रवि बोला क्या करेंगे दुर्गा बोली मैं टैक्सी चला लूंगी तब रवि बोला दुर्गा तुम घर भी चलआओगी और गाड़ी भी तभी दुर्गा कहती है सब ठीक हो जाएगा
अगले दिन दुर्गा गाड़ी चलाने निकल पड़ी वह ग्राहकों को मंजिल पर छोड़ दिया करती थी जिससे उसे पैसे मिला करते थे दिन भर की कमाई से दुर्गा अपने पति और सास की दवाइयां खरीदती थी फिर घर लौट कर सारा काम अकेले ही निपटा देती थी टैक्सी वाली बहू दुर्गा ने अपने फूटे हुए घर को बचा लिया
तभी उसकी मां कहती है अरे वाह कैरी यह तू मेरे लिए लाया है या बहू के लिए तभी रवि कहता है तू भी ना मां तुम्हें कैरी पसंद है इसीलिए तुम्हारे लिए ही लाया हूं और दोनों हंसने लगते हैं रवि एक टैक्सी ड्राइवर था उसने आज ही अपनी खुद की टैक्सी खरीदी थी
दोनों टैक्सी की पूजा कर रहे थे दुर्गा ने नारियल फोड़ा तभी रवि कहता है अरे अरे आराम से कहीं शीशा ना फूट जाए तभी दुर्गा बोली आप भी ना अच्छा चलो इस टैक्सी की सैर करते हैं रवि और दुर्गा टैक्सी की सैर करने निकल गए
टैक्सी वाली पत्नी moral story
दुर्गा बोली टैक्सी चलाना बहुत मुश्किल होता है रवि बोला बिल्कुल नहीं बहुत आसान है तुम भी सीख सकती हो दुर्गा बोली ना बाबा ना लोग क्या कहेंगे रवि बोला यही कहेंगे कि मैं तुम्हें गाड़ी चलाना सिखा रहा हूं अच्छा यह देखो इसे स्टेरिंग कहते हैं दाएं पांव के नीचे एक्स लेटर होता हैं जिससे गाड़ी दौड़ती है रवि दुर्गा को गाड़ी सिखाने लगा
रवि दुर्गा को एक खाली रास्ते में ले गया और वहां उसे ड्राइवर सीट पर बिठा दिया दुर्गा डरी हुई थी धीरे-धीरे रवि ने दुर्गा को गाड़ी सिखाई और फिर कुछ ही दिनों में दुर्गा गाड़ी चलाने लगी रवि का छोटा सा परिवार बहुत खुश था
लेकिन एक दिन रवि रोड क्रॉस कर रहा था और उसका एक ट्रक से एक्सीडेंट हो गया तभी रवि खूब चिल्लाया तो उसे कुछ लोग हॉस्पिटल ले गए मगर अब रवि चल नहीं सकता था जैसे मानो रवि और दुर्गा पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा
कुछ दिनों बाद रवि को घर लाया गया लेकिन अब वह कुछ नहीं कर सकता था तब रवि कहता है यह क्या कर दिया भगवान अब मेरे परिवार का कौन ख्याल रखेगा यह कहकर रोने लगता है दुर्गा कहती है शांत हो जाइए ना रवि बोला मुझे लगता है टैक्सी बेच देनी चाहिए
कुछ दिनों का खर्चा तो चलेगा दुर्गा बोली नहीं नहीं फिर रवि बोला क्या करेंगे दुर्गा बोली मैं टैक्सी चला लूंगी तब रवि बोला दुर्गा तुम घर भी चलआओगी और गाड़ी भी तभी दुर्गा कहती है सब ठीक हो जाएगा
अगले दिन दुर्गा गाड़ी चलाने निकल पड़ी वह ग्राहकों को मंजिल पर छोड़ दिया करती थी जिससे उसे पैसे मिला करते थे दिन भर की कमाई से दुर्गा अपने पति और सास की दवाइयां खरीदती थी फिर घर लौट कर सारा काम अकेले ही निपटा देती थी टैक्सी वाली बहू दुर्गा ने अपने फूटे हुए घर को बचा लिया
टैक्सी वाली पत्नी
Reviewed by Anand Singh
on
May 16, 2020
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