प्यासा कौआ
एक समय की बात है गर्मियों के दिन थे और उस भड़कती गर्मी में एक कौए को बहुत ज़ोर से प्यास लगती है वह कौवा पानी की तालाश में इधर-उधर भटकता रहता है पर उसके इतना कोशिश करने के बाद भी पानी धुंडने में असफल रहता है और उपर से गर्मी अपना कहर बनाये रखी थी
फिर कौआ थक हार कर एक बगीचे के वृक्ष पर बैठ गया क्योंकि उस गर्मी भरे दिन में कौआ जितना उड़ता उसकी प्यास उतनी ही बढती जाती अब उसको ऐसा लगने लगा की अब उसकी मृत्यु निश्चित है वह लगभग अपनी हिम्मत हार ही चूका था की उसकी नज़र वृक्ष के निचे पड़े एक घड़े पर पड़ी
कौआ घड़े को देख कर तुरंत उस घड़े के पास पहुंचा घड़े में पानी को देख कर कौआ बहुत खुश हुआ उसको जीने की नयी आशा सी दिखने लगी
कौआ बहुत प्यासा होने के कारण जल्दी से पानी पीने के लिए अपनी चूंच घड़े में डालता है परन्तु घड़े में पानी कम होने के कारण कौआ अपनी चूंच को पानी तक पहुँचाने में असमर्थ रहता है
पानी ना पी पाने के कारण कौआ फिर से निराश हो जाता है वह घड़े पर बैठा ही रहता है की उसकी नज़र घड़े के आस पास पड़े कंकडों पर पड़ी कंकडों को देख कर कौए को एक सुझाव आता है
कौआ फिर से अपनी हिम्मत जुटात है और तुरंत उन कंकड़ पथरों को घड़े ने डालना शुरू करता है काफी कोशिश और मेहनत करने के बाद उसकी मेहनत भी रंग लाती है और कुछ समय कंकड़ डालने के बाद पानी उपर आ जाता है
जैसे ही पानी उपर आता है तो कौआ जल्दी से पानी पिता है और अपनी प्यास बुझा कर उड़ जाता है
कहानी का सार
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती अगर आप भी किसी काम को पूरे मेहनत और लगन से कोशिश करेंगे तो आपका काम जरुर पूरा होगा
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