दादी ने पकड़ा चोर
बहुत समय पहले की बात है एक गांव में एक बुढ़िया रहती थी उस गुड़ियका नाम शांता था अंदर से बड़ी ही दुखी थी बुढ़िया जितना सोचती की जगी रहूंगी बाहर बैठकर पहरा दूंगी उतना ही नींद झक मार कर आती है फिर रात को गुड़िया बैठे बैठे सो जाती है तभी रात को एक चोर गुड़िया के घर में घुसकर उसका सारा खाना खा कर चला जाता है
फिर सवेरे होते ही बुढ़िया की आंखें खुल जाती है और वह अपने घर में जाती है तो देखती है कि उसका खाना गायब है और कहती है अरे मेरा सारा खाना कहां गया तभी गुड़िया बाहर जाकर रोती है और कहती है अब मैं क्या खाऊंगी यह कहकर जोर जोर से रोने लगती है
तभी वहां कुछ गांव के लोग आते हैं एक आदमी कहता है दादी क्या हुआ रो क्यों रही हो दूसरा आदमी बोला मैं कई दिनों से देख रहा हूं सुबह होते ही तुम गला फाड़ कर रोने बैठ जाती हो बुढ़िया बोली रात को कोई आकर मेरा बासी चावल उड़ा गया फिर आदमी बोला क्या क्या कहां कुछ नहीं तो बासी चावल चोर
तभी एक और आदमी बोला अरे छोड़ो तुम्हारी मुसीबत तुम्हें ही मुबारक हो हम तो चलते हैं तभी सभी चले जाते हैं और बुढ़िया उदास हो जाती है और कहती है इस बार मैं इस चोर को तो ढूंढ के रहूंगी और अच्छा सबक सिखाएगी तभी बुढ़िया एक लाठी लेकर जाने लगती है
और चलते चलते काफी देर हो जाती है और कहती है जाने मैं कब से चली जा रही हूं यह रास्ता तो जैसे खत्म ही नहीं होता पर मैं हिम्मत नहीं हारूंगी आज तो मैं कुछ ना कुछ करके ही मानूंगी तभी उस गुड़िया को एक समुंद्र दिखाई देता है वह बुढ़िया उस समुद्र के पास जाती है और मुंह धोती है
तभी एक मछली वहां आती है और बुढ़िया से कहती है दादी मां मैंने सुना तुम महाराज के पास जा रही हो बुढ़िया बोली हां तुमने बिलकुल सही सुना है चोर मेरा खाना जो खा गया मछली बोली वैसे तो तुम सही कह रही हो पर मैं कह रही हूं तुम लौटते समय मुझे अपने साथ लेते जाना बुढ़िया बोली अब उसमें क्या परेशानी है ठीक है तो अब मैं चलती हूं
तभी बुढ़िया वहां से चली जाती है कुछ ही दूर जाकर बुढ़िया को एक पेड़ दिखाई देता है गुड़िया पेड़ के नीचे आराम करने लगती है तभी एक फल पेड़ से गिरता है गुड़िया उस फल को खाने वाली बात बता देती है फल कहता है सही काम कर रही हो पर जाते वक्त मुझे भी साथ लेते जाना सब अच्छा होगा बुढ़िया बोली ठीक है मेरे आने तक यही इंतजार करो मैं जल्दी से महाराज से मिल कर आती हूं और बुढ़िया वहां से चली जाती है
कुछ ही दूर बुढ़िया जाती है तो उसे नीचे पड़ा गोबर दिखाई देता है गुड़िया गोबर से चोर पकड़ने की बात कहती है तो गोबर कहता है जाना तो मुझे भी साथ लेते जाना देखना मैं तुम्हारे बड़े काम आऊंगा तभी गुड़िया वहां से चली जाती है और कुछ ही दूर जाकर एक अस्तुरा जमीन में पढ़ा था
वह बोला बुढ़िया कहां जा रही हो और मैं कितने काम की चीज हूं तुम्हें वक्त आने पर ही समझ में आएगा उसी तरह बोला देखो लौटते समय मुझे अपने साथ ही ले जाना गुड़िया बोली ठीक है इतना कहकर बुढ़िया वहां से चली जाती है और महाराज के महल पहुंच जाती है
तभी दो सैनिक दरवाजे पर खड़े उस बढ़िया से कहते हैं ओ बुढ़िया कहां चली जा रही हो महाराज की अनुमति के बिना यहां कोई नहीं घुस सकता गुड़िया बोली मैं महाराज के पास जा रही हूं शिकायत करने सैनिक बोले अरे जब महाराज है ही नहीं तो शिकायत किससे करोगी महाराज दूसरे देश में व्यापार के सिलसिले में गए हैं
तुम्हारी शिकायत यहां सुनेगा कौन इतनी सारी कोशिशों के बाद वह बुढ़िया अपनी लाठी को थपथपाते हुए अपने घर की ओर चल देती है लौटते समय गुड़िया के मन में उस तरह गोबर फल मछली की बातें याद आ गई बुढ़िया ने एक-एक करके उन सब को उठाया और अपनी झोली में भर लिया और घर चली गई
बुढ़िया कहती है मैं इस झोले को रख कर आराम कर लेती हूं तभी उसके झोले से कुछ हिलता है झोले से आवाज आती है मुझे भी दिखाओ घर कैसा है तभी बुढ़िया सबसे पहले अस्तुरा को निकालती है अस्तुरा कहता है वहां मुझे तुम इस घास पर छोड़ दो गुड़िया बोली ठीक है
तभी गोबर भी कहता है बुढ़िया बुढ़िया मुझे कब निकालो गी गोबर भी चारों ओर देखता है और कहता है मुझे दहलीज पर ही रख दो गुड़िया गोबर को दहलीज में छोड़ कर चली जाती है तभी झूले से आवाज आती है अब मुझे भी इस झोले से बाहर निकालो वह फल कहता है ऐसा करो तुम मुझे उस चूल्हे के अंदर रख दो गुड़िया बोली तुम्हें इतनी सारी जगह छोड़कर वही जगह पसंद आई ठीक है जैसी तुम्हारी मर्जी तभी बुढ़िया कहती है
क्या तुम झोले मैं पड़े रहोगे बाहर आकर ताजी हवा खा लो तभी झोले से मछली निकलती है मछली कहती है तुम एक काम करो मुझे अपनी बासी चावल की हांडी में रख दो बुढ़िया बोली ठीक है तुम्हें तो मैं हांडी में ही रख देती हू तभी रात हो जाती है बुढ़िया कहती है चलो भैया खाना भी हो गया और वह सोचने लगती है कैसे रात में आंखें खुली रखना भी बहुत मुश्किल है अब तो सो जाना ही ठीक रहेगा और वह सोने चली जाती है
थोड़ी देर बाद चोर आता है और बुढ़िया को देखता है कि बुढ़िया सो गई है चोर कहता है अरे वाह बासी चावल से भरी हांडी ऐसा लगता है हांडी मुझे बुला रही है और वह हंसने लगता है तभी चोर हांडी का ढक्कन उठाता है तो उसका हाथ मैं कुछ गढ़ जाता है चोर कहता है गुड़िया ने ही कुछ चाल चली होगी मैं जाता हूं चूल्हे में हाथ सेक लेता हूं
तभी फल कहता है आओ आओ ऐसा सबक सिखाऊंगा की जिंदगी भर याद रखोगे तभी चोर चूल्हे के पास जाता है और वह फल फट जाता है चोर कहता है यह क्या हुआ मेरे पूरे शरीर की गंदगी पोद्दी और कहता है यहां रुकना ठीक नहीं है मैं यहां से चला जाता हूं
वो जैसे ही दहलीज पर पैर रखता है तो गोवर उसे गिरा देता है गोबर कहता हैं मुझसे बचकर कैसे जाओगे जैसे ही चोर घास पर पैर रखता है तो उसका पैर कट जाता है और वह जोर जोर से चिल्लाता है कोई अम्मा उई अम्मा मेरा पैर भी कट गया उसके चिल्लाने की आवाज सुनकर बुढ़िया जाग जाती है
और कहती है अरे इतनी रात को कौन शोर कर रहा है और बुढ़िया बाहर आ जाती है और देखती है और चिल्ला चिल्ला कर कहती है ऐसा लगता है चोर जाल में फंस गया है सभी गांव वाले लाठी लेकर चोर को मारने के लिए आते हैं और कहते है बढ़िया अब बता हर बार की तरह बासी चावल चढ़ाकर खाएगा खाना आजा आज तुझे पता चलेगा चोरी करने का अंजाम क्या होगा तभी गांव वाले उसे लाठियों से मारने लगते हैं और बढ़िया खुश हो जाती है
फिर सवेरे होते ही बुढ़िया की आंखें खुल जाती है और वह अपने घर में जाती है तो देखती है कि उसका खाना गायब है और कहती है अरे मेरा सारा खाना कहां गया तभी गुड़िया बाहर जाकर रोती है और कहती है अब मैं क्या खाऊंगी यह कहकर जोर जोर से रोने लगती है
तभी वहां कुछ गांव के लोग आते हैं एक आदमी कहता है दादी क्या हुआ रो क्यों रही हो दूसरा आदमी बोला मैं कई दिनों से देख रहा हूं सुबह होते ही तुम गला फाड़ कर रोने बैठ जाती हो बुढ़िया बोली रात को कोई आकर मेरा बासी चावल उड़ा गया फिर आदमी बोला क्या क्या कहां कुछ नहीं तो बासी चावल चोर
दादी ने पकड़ा चोर kids story
और चलते चलते काफी देर हो जाती है और कहती है जाने मैं कब से चली जा रही हूं यह रास्ता तो जैसे खत्म ही नहीं होता पर मैं हिम्मत नहीं हारूंगी आज तो मैं कुछ ना कुछ करके ही मानूंगी तभी उस गुड़िया को एक समुंद्र दिखाई देता है वह बुढ़िया उस समुद्र के पास जाती है और मुंह धोती है
तभी एक मछली वहां आती है और बुढ़िया से कहती है दादी मां मैंने सुना तुम महाराज के पास जा रही हो बुढ़िया बोली हां तुमने बिलकुल सही सुना है चोर मेरा खाना जो खा गया मछली बोली वैसे तो तुम सही कह रही हो पर मैं कह रही हूं तुम लौटते समय मुझे अपने साथ लेते जाना बुढ़िया बोली अब उसमें क्या परेशानी है ठीक है तो अब मैं चलती हूं
तभी बुढ़िया वहां से चली जाती है कुछ ही दूर जाकर बुढ़िया को एक पेड़ दिखाई देता है गुड़िया पेड़ के नीचे आराम करने लगती है तभी एक फल पेड़ से गिरता है गुड़िया उस फल को खाने वाली बात बता देती है फल कहता है सही काम कर रही हो पर जाते वक्त मुझे भी साथ लेते जाना सब अच्छा होगा बुढ़िया बोली ठीक है मेरे आने तक यही इंतजार करो मैं जल्दी से महाराज से मिल कर आती हूं और बुढ़िया वहां से चली जाती है
कुछ ही दूर बुढ़िया जाती है तो उसे नीचे पड़ा गोबर दिखाई देता है गुड़िया गोबर से चोर पकड़ने की बात कहती है तो गोबर कहता है जाना तो मुझे भी साथ लेते जाना देखना मैं तुम्हारे बड़े काम आऊंगा तभी गुड़िया वहां से चली जाती है और कुछ ही दूर जाकर एक अस्तुरा जमीन में पढ़ा था
वह बोला बुढ़िया कहां जा रही हो और मैं कितने काम की चीज हूं तुम्हें वक्त आने पर ही समझ में आएगा उसी तरह बोला देखो लौटते समय मुझे अपने साथ ही ले जाना गुड़िया बोली ठीक है इतना कहकर बुढ़िया वहां से चली जाती है और महाराज के महल पहुंच जाती है
तभी दो सैनिक दरवाजे पर खड़े उस बढ़िया से कहते हैं ओ बुढ़िया कहां चली जा रही हो महाराज की अनुमति के बिना यहां कोई नहीं घुस सकता गुड़िया बोली मैं महाराज के पास जा रही हूं शिकायत करने सैनिक बोले अरे जब महाराज है ही नहीं तो शिकायत किससे करोगी महाराज दूसरे देश में व्यापार के सिलसिले में गए हैं
तुम्हारी शिकायत यहां सुनेगा कौन इतनी सारी कोशिशों के बाद वह बुढ़िया अपनी लाठी को थपथपाते हुए अपने घर की ओर चल देती है लौटते समय गुड़िया के मन में उस तरह गोबर फल मछली की बातें याद आ गई बुढ़िया ने एक-एक करके उन सब को उठाया और अपनी झोली में भर लिया और घर चली गई
बुढ़िया कहती है मैं इस झोले को रख कर आराम कर लेती हूं तभी उसके झोले से कुछ हिलता है झोले से आवाज आती है मुझे भी दिखाओ घर कैसा है तभी बुढ़िया सबसे पहले अस्तुरा को निकालती है अस्तुरा कहता है वहां मुझे तुम इस घास पर छोड़ दो गुड़िया बोली ठीक है
तभी गोबर भी कहता है बुढ़िया बुढ़िया मुझे कब निकालो गी गोबर भी चारों ओर देखता है और कहता है मुझे दहलीज पर ही रख दो गुड़िया गोबर को दहलीज में छोड़ कर चली जाती है तभी झूले से आवाज आती है अब मुझे भी इस झोले से बाहर निकालो वह फल कहता है ऐसा करो तुम मुझे उस चूल्हे के अंदर रख दो गुड़िया बोली तुम्हें इतनी सारी जगह छोड़कर वही जगह पसंद आई ठीक है जैसी तुम्हारी मर्जी तभी बुढ़िया कहती है
क्या तुम झोले मैं पड़े रहोगे बाहर आकर ताजी हवा खा लो तभी झोले से मछली निकलती है मछली कहती है तुम एक काम करो मुझे अपनी बासी चावल की हांडी में रख दो बुढ़िया बोली ठीक है तुम्हें तो मैं हांडी में ही रख देती हू तभी रात हो जाती है बुढ़िया कहती है चलो भैया खाना भी हो गया और वह सोचने लगती है कैसे रात में आंखें खुली रखना भी बहुत मुश्किल है अब तो सो जाना ही ठीक रहेगा और वह सोने चली जाती है
थोड़ी देर बाद चोर आता है और बुढ़िया को देखता है कि बुढ़िया सो गई है चोर कहता है अरे वाह बासी चावल से भरी हांडी ऐसा लगता है हांडी मुझे बुला रही है और वह हंसने लगता है तभी चोर हांडी का ढक्कन उठाता है तो उसका हाथ मैं कुछ गढ़ जाता है चोर कहता है गुड़िया ने ही कुछ चाल चली होगी मैं जाता हूं चूल्हे में हाथ सेक लेता हूं
तभी फल कहता है आओ आओ ऐसा सबक सिखाऊंगा की जिंदगी भर याद रखोगे तभी चोर चूल्हे के पास जाता है और वह फल फट जाता है चोर कहता है यह क्या हुआ मेरे पूरे शरीर की गंदगी पोद्दी और कहता है यहां रुकना ठीक नहीं है मैं यहां से चला जाता हूं
वो जैसे ही दहलीज पर पैर रखता है तो गोवर उसे गिरा देता है गोबर कहता हैं मुझसे बचकर कैसे जाओगे जैसे ही चोर घास पर पैर रखता है तो उसका पैर कट जाता है और वह जोर जोर से चिल्लाता है कोई अम्मा उई अम्मा मेरा पैर भी कट गया उसके चिल्लाने की आवाज सुनकर बुढ़िया जाग जाती है
और कहती है अरे इतनी रात को कौन शोर कर रहा है और बुढ़िया बाहर आ जाती है और देखती है और चिल्ला चिल्ला कर कहती है ऐसा लगता है चोर जाल में फंस गया है सभी गांव वाले लाठी लेकर चोर को मारने के लिए आते हैं और कहते है बढ़िया अब बता हर बार की तरह बासी चावल चढ़ाकर खाएगा खाना आजा आज तुझे पता चलेगा चोरी करने का अंजाम क्या होगा तभी गांव वाले उसे लाठियों से मारने लगते हैं और बढ़िया खुश हो जाती है
दादी ने पकड़ा चोर
Reviewed by Anand Singh
on
June 22, 2020
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