अधूरी जीत
मीरा घर की दहलीज पर खड़ी खड़ी देख रही थी बाहर चारों और सुनसान और सन्नाटा छाया हुआ था ऐसा लग रहा था जैसे हवाओं पर भी कर्फ्यू लग गया हो सड़के सूनी चौबारे सुने आसपास की सभी दुकानें बंद बाहर एक परिंदा भी नजर नहीं आ रहा था
मीरा के मन में कई तरह के सवाल उमड़ रहे थे सुनने में आ रहा था कि चारो ओर कोरोना नाम का वायरस फैल चुका है पता नहीं उसकी बेटी किस हाल में होगी इसी चिंता से मीरा के दिन रात गुजर रहे थे मीरा की भी एक आंख का पर्दा खराब हो चुका था
तो देखने में भी परेशानी आ रही थी जब बुरा वक्त आता है तो किसी को पता नहीं चलता मीरा के साथ भी ऐसा ही हो रहा था बेटी रीना का फोन भी नहीं लग रहा था और ना ही उसका फोन आ रहा था रुपए पैसों की भी कमी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही थी
क्योंकि आंख के कारण वह कुछ काम नहीं कर सकती थी और बेटी ने भी इस महीने पैसे नहीं भेजे थे पर 6000 में होता क्या है और तो और कोरोना का खौफ दिन पर दिन खाया जा रहा था 23 मार्च को अचानक रात 11:00 बजे किसी ने दरवाजा खट खटाया देखा तो बेटी रीना थी
उसे देख कर ऐसा लगा कि ना मानो तो मरते शरीर में भी जान आ गई हो उसे गले लगाया तो उसका शरीर अंगारे की तरह तप रहा था मीरा ने सोचा कि थकान के कारण तप रहा होगा और उसे खाना खिलाया और उसे आराम करने को बोला
मीरा मन ही मन सोच रही थी कि थकान का बुखार होगा तो कल उतर जाएगा लेकिन सुबह रीना का बुखार उत्तरा ही नहीं मीरा अपनी बेटी रीना को ऑटो में बिठाकर अस्पताल ले गई डाक्टर ने 3 दिन की दवाई देकर भेज दिया
घर आते आते मीरा के मन में कितने विचार चल रहे थे मीरा और रीना दोनों एक दूसरे का मुंह देखने लगे और मुस्कुराए बेटी के गले को लगाते हुए समझाया कल तक ठीक हो जाओगी चिंता मत करो घर मैं कोई कमाने वाला नहीं था
25 से लॉकडॉन लग जाएगा और यह बातें मीरा बेटी से भी साझा नहीं कर सकती थी क्योंकि उसकी तबीयत भी ठीक नहीं थी कैसे चलेगा घर का खर्चा बस यही बार-बार मीरा के मन में आ रहे थे कि सोचते-सोचते कब घर आ गए पता ही नहीं चला
2 दिन हो गए किंतु बेटी का बुखार उतरा ही नहीं अब मीरा और रीना को और अधिक चिंता होने लगी पल पल टीवी पर कोरोना का कोहराम चिंता को बढ़ा रहा था इसी कशमकश में गुजर रहे थे रात को भोजन के बाद दोनों साथ साथ बैठे थे
बैठे बैठे मोबाइल में कुछ देख रहे थे मीरा और रीना दोनों में यह विचार चल रहे थे कि बुखार उतरा नहीं कहीं कोरोना तो नहीं हो गया किंतु मीरा और रीना एक दूसरे को बोलने में संकोच कर रहे थे इतने में रीना ने मोबाइल में कुछ कोरोना के डॉक्टर के नंबर देखें
रीना के मन में आया क्यों ना मैं खुद ही डॉक्टर को फोन लगा लूं मां को नहीं बताऊं तो अच्छा रहेगा वह और अधिक परेशान हो जाएंगी यही सोचते सोचते मीरा सोने चली गई रीना बराबर यही सोच रही थी कि मैं फोन लगाऊं कि ना लगाऊ आखिर उसने फैसला कर ही लिया
उसने सुबह उठकर फोन लगा ही दिया जोर-जोर से एंबुलेंस की आवाज मीरा ने सुनी तो रीना से कहती है किसके यहां एंबुलेंस आई है कौन सीरियस हालत में हो गया यह कहते हुए मीरा अपने बिस्तर से उठी उसने बाहर देखा तो एंबुलेंस खड़ी थी
वह मीरा के घर के सामने खड़ी थी मीरा सोच में पड़ गई मेरे घर पर एंबुलेंस क्यों आई है एंबुलेंस देख मीरा के हाथ पैर कांपने लगे मीरा कुछ समय पाती इतनी देर में कुछ डॉक्टर आए नाम पूछा और रीना को साथ ले गए मीरा के घर मैं चारों और लोग जमा हो गए बस उसे घूरे जा रहे थे
मीरा को कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या हो रहा है एक पल में यह क्या हो गया जाते समय रीना बोली मां घबराना नहीं डॉक्टर से पूछा कहां ले जा रहे हो वह बोले सिविल हॉस्पिटल तब मीरा भी वहां पहुंच गई वहां पहुंचकर बेटी से पूछा यह सब क्या चल रहा है
तब उसने बताया कि मैंने ही फोन लगाया था ताकि आप परेशान ना हो जाओ इसलिए मैंने आपको नहीं बताया रीना को ऐसा लग रहा था कि शायद वह कोरोना पॉजिटिव हो सकती है उसके बाद तो डॉक्टर आए और उसे दूसरे कमरे में ले गए बोले इनके कुछ टेस्ट करने हैं अब आप घर जाइए मीरा कुछ समय वही इंतजार करती है
फिर घर चली गई अब मीरा के मन में तरह-तरह के सवाल आ रहे थे मन में कोरोना का डर बुरी तरह डरा रहा था किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था इसी चिंता में कब 2 घंटे बीत गए पता ही नहीं चला अब मीरा को और भी अधिक घबराहट होने लगी अभी तक क्यों नहीं आई रीना
उसका फोन भी नहीं लग रहा ना उसका कोई फोन आया बार-बार नंबर दबाते दबाते उंगलियां दुखने लगी आंखें बार-बार फोन देख रही थी कभी दरवाजे की टकटकी लगाए देखती रहती थी लेकिन दरवाजे पर कोई नहीं था फिर मोबाइल की घंटी बजती है तब मीरा को लगा कि रीना का ही फोन होगा
जब फोन को देखा तो कोई अनजान नंबर था जैसे ही फोन उठाया और आवाज आई कि मैं डॉक्टर बोल रहा हूं आपकी बेटी को हमने आइसोलेट कर लिया है अब यही रहेगी जब तक ठीक नहीं होती वह कोरोना पॉजिटिव हो सकती है इसलिए अब उसे यहीं रहना होगा कोरोना की बात सुनकर मीरा के हाथ पैर सुन हो गए
जब तक मीरा कुछ बोल पाती तब तक डॉक्टर ने फोन ही काट दिया अब मीरा बहुत चिंता थी कि अब मैं क्या करूं और चारों तरफ टीवी पर कोरोना से मरे लोगों का मातम चल रहा था इसे देखकर मीरा और डर रही थी फिर मीरा ने अपने आपको जैसे तैसे संभाला अपनी एक सहेली को फोन लगाया उससे बात की उससे सारी घटना बताई
मीरा की सहेली ने उसे ममता का नंबर दिया जो समाज सेविका थी ममता दीदी ने मीरा से बात कि उसे समझाया वह चिंता ना करें हम तुम्हारे साथ हैं उन्होंने ऐसे समय में मदद की जब हर किसी ने मीरा का साथ छोड़ दिया था दीदी ने मीरा की बात रीना बेटी से कराई रीना की आवाज सुनकर मीरा को काफी राहत मिली
दीदी ने मीरा को खाद्य सामग्री पहुंचाई साथ ही कुछ रुपए की मदद की साथ ही रतलाम प्रशासन ने मीरा की हर तरह से मदद की मीरा की अब रोज सुबह 10:00 से 11:00 के बीच में रीना बेटी से बात हो जाती थी अब वह वहां ठीक है मीरा को भी तसल्ली हो गई थी कि मीरा ने सही समय पर डॉक्टर को फोन लगा दिया था
और पता नहीं फिर क्या होता रीना ने जागरूकता दिखाई यह सोच कर मीरा को अब बहुत अच्छा लग रहा था 15 दिन के बाद मीरा की सारी रिपोर्ट सामान्य निकली अब वह पूरी तरह स्वस्थ है जब रीना घर आई तब सभी लोगों ने तालियां बजाकर स्वागत किया रीना बहुत खुश थी कि वह कोरोना को हराकर जीत कर आई थी
लेकिन उसे क्या पता था की असली लड़ाई तो अब शुरू हुई है जिन्होंने कल तालियां बजाई थी आज वही लोग मुंह फेरे हुए थे अब रीना को भी सभी लोग हीन भावना से देखने लगे थे रीना के साथ अछूतों जैसा व्यवहार किया जा रहा था अगर रीना घर के दरवाजे पर कुर्सी लगाकर बैठ जाती थी तो लोग घर से निकलना बंद कर देते थे
लोग उंगलिया दिखा दिखा कर बताते थे देखो वह कोरोना संक्रमित है रीना की मां मीरा को किराने की दुकान वालों ने भी सम्मान देना बंद कर दिया था पहले आस-पड़ोस के लोग बातें करते थे जब से जीना अस्पताल से आई थी तब से पड़ोसियों ने भी बात करना बंद कर दिया था
ऐसा लगता है कि रीना ने कोई बहुत बड़ा अपराध कर दिया हो ऐसा व्यवहार किया जा रहा था रीना को अब ऐसा लग रहा था कि उसने गलती कर दी थी फोन लगाकर रीना बार-बार यही प्रश्न अपने से कर रही थी जब डॉक्टर ने रीना को स्वस्थ होने का प्रमाण दे दिया तो रीना के साथ ऐसा व्यवहार क्यों,?
मीरा के मन में कई तरह के सवाल उमड़ रहे थे सुनने में आ रहा था कि चारो ओर कोरोना नाम का वायरस फैल चुका है पता नहीं उसकी बेटी किस हाल में होगी इसी चिंता से मीरा के दिन रात गुजर रहे थे मीरा की भी एक आंख का पर्दा खराब हो चुका था
तो देखने में भी परेशानी आ रही थी जब बुरा वक्त आता है तो किसी को पता नहीं चलता मीरा के साथ भी ऐसा ही हो रहा था बेटी रीना का फोन भी नहीं लग रहा था और ना ही उसका फोन आ रहा था रुपए पैसों की भी कमी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही थी
अधूरी जीत hindi story
क्योंकि आंख के कारण वह कुछ काम नहीं कर सकती थी और बेटी ने भी इस महीने पैसे नहीं भेजे थे पर 6000 में होता क्या है और तो और कोरोना का खौफ दिन पर दिन खाया जा रहा था 23 मार्च को अचानक रात 11:00 बजे किसी ने दरवाजा खट खटाया देखा तो बेटी रीना थी
उसे देख कर ऐसा लगा कि ना मानो तो मरते शरीर में भी जान आ गई हो उसे गले लगाया तो उसका शरीर अंगारे की तरह तप रहा था मीरा ने सोचा कि थकान के कारण तप रहा होगा और उसे खाना खिलाया और उसे आराम करने को बोला
मीरा मन ही मन सोच रही थी कि थकान का बुखार होगा तो कल उतर जाएगा लेकिन सुबह रीना का बुखार उत्तरा ही नहीं मीरा अपनी बेटी रीना को ऑटो में बिठाकर अस्पताल ले गई डाक्टर ने 3 दिन की दवाई देकर भेज दिया
घर आते आते मीरा के मन में कितने विचार चल रहे थे मीरा और रीना दोनों एक दूसरे का मुंह देखने लगे और मुस्कुराए बेटी के गले को लगाते हुए समझाया कल तक ठीक हो जाओगी चिंता मत करो घर मैं कोई कमाने वाला नहीं था
25 से लॉकडॉन लग जाएगा और यह बातें मीरा बेटी से भी साझा नहीं कर सकती थी क्योंकि उसकी तबीयत भी ठीक नहीं थी कैसे चलेगा घर का खर्चा बस यही बार-बार मीरा के मन में आ रहे थे कि सोचते-सोचते कब घर आ गए पता ही नहीं चला
2 दिन हो गए किंतु बेटी का बुखार उतरा ही नहीं अब मीरा और रीना को और अधिक चिंता होने लगी पल पल टीवी पर कोरोना का कोहराम चिंता को बढ़ा रहा था इसी कशमकश में गुजर रहे थे रात को भोजन के बाद दोनों साथ साथ बैठे थे
बैठे बैठे मोबाइल में कुछ देख रहे थे मीरा और रीना दोनों में यह विचार चल रहे थे कि बुखार उतरा नहीं कहीं कोरोना तो नहीं हो गया किंतु मीरा और रीना एक दूसरे को बोलने में संकोच कर रहे थे इतने में रीना ने मोबाइल में कुछ कोरोना के डॉक्टर के नंबर देखें
रीना के मन में आया क्यों ना मैं खुद ही डॉक्टर को फोन लगा लूं मां को नहीं बताऊं तो अच्छा रहेगा वह और अधिक परेशान हो जाएंगी यही सोचते सोचते मीरा सोने चली गई रीना बराबर यही सोच रही थी कि मैं फोन लगाऊं कि ना लगाऊ आखिर उसने फैसला कर ही लिया
उसने सुबह उठकर फोन लगा ही दिया जोर-जोर से एंबुलेंस की आवाज मीरा ने सुनी तो रीना से कहती है किसके यहां एंबुलेंस आई है कौन सीरियस हालत में हो गया यह कहते हुए मीरा अपने बिस्तर से उठी उसने बाहर देखा तो एंबुलेंस खड़ी थी
वह मीरा के घर के सामने खड़ी थी मीरा सोच में पड़ गई मेरे घर पर एंबुलेंस क्यों आई है एंबुलेंस देख मीरा के हाथ पैर कांपने लगे मीरा कुछ समय पाती इतनी देर में कुछ डॉक्टर आए नाम पूछा और रीना को साथ ले गए मीरा के घर मैं चारों और लोग जमा हो गए बस उसे घूरे जा रहे थे
मीरा को कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या हो रहा है एक पल में यह क्या हो गया जाते समय रीना बोली मां घबराना नहीं डॉक्टर से पूछा कहां ले जा रहे हो वह बोले सिविल हॉस्पिटल तब मीरा भी वहां पहुंच गई वहां पहुंचकर बेटी से पूछा यह सब क्या चल रहा है
तब उसने बताया कि मैंने ही फोन लगाया था ताकि आप परेशान ना हो जाओ इसलिए मैंने आपको नहीं बताया रीना को ऐसा लग रहा था कि शायद वह कोरोना पॉजिटिव हो सकती है उसके बाद तो डॉक्टर आए और उसे दूसरे कमरे में ले गए बोले इनके कुछ टेस्ट करने हैं अब आप घर जाइए मीरा कुछ समय वही इंतजार करती है
फिर घर चली गई अब मीरा के मन में तरह-तरह के सवाल आ रहे थे मन में कोरोना का डर बुरी तरह डरा रहा था किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था इसी चिंता में कब 2 घंटे बीत गए पता ही नहीं चला अब मीरा को और भी अधिक घबराहट होने लगी अभी तक क्यों नहीं आई रीना
उसका फोन भी नहीं लग रहा ना उसका कोई फोन आया बार-बार नंबर दबाते दबाते उंगलियां दुखने लगी आंखें बार-बार फोन देख रही थी कभी दरवाजे की टकटकी लगाए देखती रहती थी लेकिन दरवाजे पर कोई नहीं था फिर मोबाइल की घंटी बजती है तब मीरा को लगा कि रीना का ही फोन होगा
जब फोन को देखा तो कोई अनजान नंबर था जैसे ही फोन उठाया और आवाज आई कि मैं डॉक्टर बोल रहा हूं आपकी बेटी को हमने आइसोलेट कर लिया है अब यही रहेगी जब तक ठीक नहीं होती वह कोरोना पॉजिटिव हो सकती है इसलिए अब उसे यहीं रहना होगा कोरोना की बात सुनकर मीरा के हाथ पैर सुन हो गए
जब तक मीरा कुछ बोल पाती तब तक डॉक्टर ने फोन ही काट दिया अब मीरा बहुत चिंता थी कि अब मैं क्या करूं और चारों तरफ टीवी पर कोरोना से मरे लोगों का मातम चल रहा था इसे देखकर मीरा और डर रही थी फिर मीरा ने अपने आपको जैसे तैसे संभाला अपनी एक सहेली को फोन लगाया उससे बात की उससे सारी घटना बताई
मीरा की सहेली ने उसे ममता का नंबर दिया जो समाज सेविका थी ममता दीदी ने मीरा से बात कि उसे समझाया वह चिंता ना करें हम तुम्हारे साथ हैं उन्होंने ऐसे समय में मदद की जब हर किसी ने मीरा का साथ छोड़ दिया था दीदी ने मीरा की बात रीना बेटी से कराई रीना की आवाज सुनकर मीरा को काफी राहत मिली
दीदी ने मीरा को खाद्य सामग्री पहुंचाई साथ ही कुछ रुपए की मदद की साथ ही रतलाम प्रशासन ने मीरा की हर तरह से मदद की मीरा की अब रोज सुबह 10:00 से 11:00 के बीच में रीना बेटी से बात हो जाती थी अब वह वहां ठीक है मीरा को भी तसल्ली हो गई थी कि मीरा ने सही समय पर डॉक्टर को फोन लगा दिया था
और पता नहीं फिर क्या होता रीना ने जागरूकता दिखाई यह सोच कर मीरा को अब बहुत अच्छा लग रहा था 15 दिन के बाद मीरा की सारी रिपोर्ट सामान्य निकली अब वह पूरी तरह स्वस्थ है जब रीना घर आई तब सभी लोगों ने तालियां बजाकर स्वागत किया रीना बहुत खुश थी कि वह कोरोना को हराकर जीत कर आई थी
लेकिन उसे क्या पता था की असली लड़ाई तो अब शुरू हुई है जिन्होंने कल तालियां बजाई थी आज वही लोग मुंह फेरे हुए थे अब रीना को भी सभी लोग हीन भावना से देखने लगे थे रीना के साथ अछूतों जैसा व्यवहार किया जा रहा था अगर रीना घर के दरवाजे पर कुर्सी लगाकर बैठ जाती थी तो लोग घर से निकलना बंद कर देते थे
लोग उंगलिया दिखा दिखा कर बताते थे देखो वह कोरोना संक्रमित है रीना की मां मीरा को किराने की दुकान वालों ने भी सम्मान देना बंद कर दिया था पहले आस-पड़ोस के लोग बातें करते थे जब से जीना अस्पताल से आई थी तब से पड़ोसियों ने भी बात करना बंद कर दिया था
ऐसा लगता है कि रीना ने कोई बहुत बड़ा अपराध कर दिया हो ऐसा व्यवहार किया जा रहा था रीना को अब ऐसा लग रहा था कि उसने गलती कर दी थी फोन लगाकर रीना बार-बार यही प्रश्न अपने से कर रही थी जब डॉक्टर ने रीना को स्वस्थ होने का प्रमाण दे दिया तो रीना के साथ ऐसा व्यवहार क्यों,?
अधूरी जीत
Reviewed by Anand Singh
on
May 11, 2020
Rating:
No comments: