अकबर बीरबल की कहानी
एक समय की बात है बादशाह अकबर अपने मंत्रियों की टोली के साथ शिकार पर निकले थे लेकिन काफी देर हो चुकी थी उन्हें अब तक कोई भी शिकार नहीं मिला था अकबर बादशाह कहते हैं हम यमुना के बीचो-बीच पहुंच गए हैं लेकिन हमें अभी तक एक भी शिकार नहीं मिला
शेरखान तुमने तो कहा था यह जंगल शिकार से भरा पड़ा है लेकिन ऐसा तो लगता ही नहीं शेरखान बोला मैं माफी चाहता हूं बादशाह लेकिन अब मैं अपने महल वापस जाना चाहता हूं बादशाह अकबर बोले इसकी बात मैं तुमसे आगरा मैं करूंगा नाराज बादशाह अकबर आगरा लौटने के लिए निकल पड़े पर जल्दी ही वो रास्ता भटक चुके थे
अकबर मैं पूछा हमें कौन से रास्ते से चलना चाहिए जिससे हम आगरा जल्दी पहुंच सके उसी टोली में से एक आदमी कहता है पहला वाला दूसरा आदमी कहता है दूसरा वाला रास्ता बादशाह कहते हैं तुम क्या कहते हो शेरखान तभी बादशाह अकबर ने देखा कि एक युवक उसे जंगल में से गुजर रहा था
बादशाह कहते हैं जरा रुको नौजवान हमें बता सकते हो इसमें से कौन सा रास्ता आगरा को जाता है तभी वह आदमी कहता है श्रीमान इनमें से कोई भी रास्ता आगरा नहीं जाता बादशाह बोले तुम क्या कहना चाहते हो तभी वह आदमी कहता है लोग जाते हैं मगर रास्ते नहीं तभी अकबर बादशाह की सारी टोली हंसने लगती है
हां तुम सही कह रहे हो तुम्हारा नाम क्या है तभी वह बोला मेरा नाम महेश दास है श्रीमान अब आप मुझे अपने बारे में बताइए श्रीमान आप कौन हैं और आपका नाम क्या है अकबर बादशाह बोलते हैं तुम अकबर बादशाह से बात कर रहे हो पूरे हिंदुस्तान में बादशाह के दरबार में मुझे तुम जैसे निडर और हंसमुख लोगो की जरूरत है
अगर तुम मेरे साही दरबार में शामिल होना चाहते हो तो इस अंगूठी को लेकर मेरे पास आना और मैं तुम्हें तुरंत पहचान लूंगा अब हमें आगरा जाने का रास्ता बताओ हम सभी बहुत थके हुए हैं और सूरज छिपने से पहले अपने आगरा पहुंचना चाहते हैं
फिर उनको आगरा जाने का रास्ता मिल जाता है अगले दिन महेश दास को बादशाह अकबर की बात याद आई और वह अकबर बादशाह के किले में पहुंच गया और उन्होंने सिपाही से कहा मै बादशाह से मिलना चाहता हूं
सिपाही बोले रुको पहले मुझे अंदर पूछने दो सिफाई अनुमति लेने दरबार में गया और फिर लौटा अब तुम अंदर जा सकते हो मैं आज पहली बार बादशाह अकबर के दरबार में आया था बादशाह अकबर कहते हैं तुम्हारा नाम क्या है क्या हम एक दूसरे को जानते हैं
तभी महेश दास कहता है बादशाह मैं महेश दास हूं बादशाह बोले मैंने यह नाम सुना तो है लेकिन कुछ याद नहीं आ रहा तभी महेश दास ने बादशाह अकबर को अंगूठी दिखाई तभी बादशाह कहते हैं हां महेश मैं तुम्हें पहचान गया मुझे तुम्हारा मजाक बहुत अच्छा लगा था
लेकिन मैं तुम्हारा इंतिहान लेना चाहता हूं यह जानने के लिए क्या तुम वही आदमी हो या फिर कोई और मेरे दरबार में पांच दरबारी तुमसे एक एक सवाल पूछेंगे देखते हैं कि तुम उन्हें क्या जवाब देते हो बादशाह की यह बात सुनकर उनके मंत्रियों ने सवाल पूछे
पहला सवाल ऐसे पड़ोसियों के बारे में बताओ जो एक दूसरे को देख नहीं सकते महेश कहता है हमारी आंखें मेरे दोस्त दूसरा सवाल ऐसे दुश्मन का नाम बताओ जिसे हराया नहीं जा सकता है इस कहता है मृत्यु तीसरा सवाल ऐसा क्या है जो मौत के बाद भी जिंदा रहता है
महेश बोला गर्व अभिमान चौथा सवाल एक रेखा थी इस रेखा को बिना मिटारे छोटा कर दो तभी महेश उसी रेखा के पास एक बड़ी सी रेखा खींच देता है और कहता है आपकी रेखा तो छोटी हो गई और पांचवा सवाल जिसे ना तो चांद देख सकता है ना ही सूरज महेश कहता है अंधकार
और इसके बाद बादशाह अकबर बोले अब मेरी बारी है तुमसे एक सवाल पूछे की आगरा की गलियों में कितने मोड़ हैं महेश बोला सिर्फ दो है एक बाय और एक दाएं बादशाह बोला आज से तुम मेरे नवरत्नों में से एक होंगे और तुम्हें महाराज बीरबल के नाम से जाना जाएगा तभी सभी सिपाही मंत्री कहते हैं महाराज बीरबल की जय हो जय हो
शेरखान तुमने तो कहा था यह जंगल शिकार से भरा पड़ा है लेकिन ऐसा तो लगता ही नहीं शेरखान बोला मैं माफी चाहता हूं बादशाह लेकिन अब मैं अपने महल वापस जाना चाहता हूं बादशाह अकबर बोले इसकी बात मैं तुमसे आगरा मैं करूंगा नाराज बादशाह अकबर आगरा लौटने के लिए निकल पड़े पर जल्दी ही वो रास्ता भटक चुके थे
अकबर मैं पूछा हमें कौन से रास्ते से चलना चाहिए जिससे हम आगरा जल्दी पहुंच सके उसी टोली में से एक आदमी कहता है पहला वाला दूसरा आदमी कहता है दूसरा वाला रास्ता बादशाह कहते हैं तुम क्या कहते हो शेरखान तभी बादशाह अकबर ने देखा कि एक युवक उसे जंगल में से गुजर रहा था
Akbar Birbal story
बादशाह कहते हैं जरा रुको नौजवान हमें बता सकते हो इसमें से कौन सा रास्ता आगरा को जाता है तभी वह आदमी कहता है श्रीमान इनमें से कोई भी रास्ता आगरा नहीं जाता बादशाह बोले तुम क्या कहना चाहते हो तभी वह आदमी कहता है लोग जाते हैं मगर रास्ते नहीं तभी अकबर बादशाह की सारी टोली हंसने लगती है
हां तुम सही कह रहे हो तुम्हारा नाम क्या है तभी वह बोला मेरा नाम महेश दास है श्रीमान अब आप मुझे अपने बारे में बताइए श्रीमान आप कौन हैं और आपका नाम क्या है अकबर बादशाह बोलते हैं तुम अकबर बादशाह से बात कर रहे हो पूरे हिंदुस्तान में बादशाह के दरबार में मुझे तुम जैसे निडर और हंसमुख लोगो की जरूरत है
अगर तुम मेरे साही दरबार में शामिल होना चाहते हो तो इस अंगूठी को लेकर मेरे पास आना और मैं तुम्हें तुरंत पहचान लूंगा अब हमें आगरा जाने का रास्ता बताओ हम सभी बहुत थके हुए हैं और सूरज छिपने से पहले अपने आगरा पहुंचना चाहते हैं
फिर उनको आगरा जाने का रास्ता मिल जाता है अगले दिन महेश दास को बादशाह अकबर की बात याद आई और वह अकबर बादशाह के किले में पहुंच गया और उन्होंने सिपाही से कहा मै बादशाह से मिलना चाहता हूं
सिपाही बोले रुको पहले मुझे अंदर पूछने दो सिफाई अनुमति लेने दरबार में गया और फिर लौटा अब तुम अंदर जा सकते हो मैं आज पहली बार बादशाह अकबर के दरबार में आया था बादशाह अकबर कहते हैं तुम्हारा नाम क्या है क्या हम एक दूसरे को जानते हैं
तभी महेश दास कहता है बादशाह मैं महेश दास हूं बादशाह बोले मैंने यह नाम सुना तो है लेकिन कुछ याद नहीं आ रहा तभी महेश दास ने बादशाह अकबर को अंगूठी दिखाई तभी बादशाह कहते हैं हां महेश मैं तुम्हें पहचान गया मुझे तुम्हारा मजाक बहुत अच्छा लगा था
लेकिन मैं तुम्हारा इंतिहान लेना चाहता हूं यह जानने के लिए क्या तुम वही आदमी हो या फिर कोई और मेरे दरबार में पांच दरबारी तुमसे एक एक सवाल पूछेंगे देखते हैं कि तुम उन्हें क्या जवाब देते हो बादशाह की यह बात सुनकर उनके मंत्रियों ने सवाल पूछे
पहला सवाल ऐसे पड़ोसियों के बारे में बताओ जो एक दूसरे को देख नहीं सकते महेश कहता है हमारी आंखें मेरे दोस्त दूसरा सवाल ऐसे दुश्मन का नाम बताओ जिसे हराया नहीं जा सकता है इस कहता है मृत्यु तीसरा सवाल ऐसा क्या है जो मौत के बाद भी जिंदा रहता है
महेश बोला गर्व अभिमान चौथा सवाल एक रेखा थी इस रेखा को बिना मिटारे छोटा कर दो तभी महेश उसी रेखा के पास एक बड़ी सी रेखा खींच देता है और कहता है आपकी रेखा तो छोटी हो गई और पांचवा सवाल जिसे ना तो चांद देख सकता है ना ही सूरज महेश कहता है अंधकार
और इसके बाद बादशाह अकबर बोले अब मेरी बारी है तुमसे एक सवाल पूछे की आगरा की गलियों में कितने मोड़ हैं महेश बोला सिर्फ दो है एक बाय और एक दाएं बादशाह बोला आज से तुम मेरे नवरत्नों में से एक होंगे और तुम्हें महाराज बीरबल के नाम से जाना जाएगा तभी सभी सिपाही मंत्री कहते हैं महाराज बीरबल की जय हो जय हो
अकबर बीरबल की कहानी
Reviewed by Anand Singh
on
May 15, 2020
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