भूतों की कहानी

मेरा नाम संजीव कुमार है मैं पंजाब का रहने वाला हूं मैं जो बात आपको बताने जा रहा हूं यह मैं कभी किसी के साथ शेयर नहीं करता क्योंकि सबको लगता है मेरी बहन की मौत बीमारी से हुई थी

यह 2017 की बात है मेरी छोटी बहन का नाम सीमा था वह बहुत ही प्यारी थी हमारी फैमिली में मैं और मम्मी और बहन ही थे मेरी एक बड़ी बहन भी है लेकिन उसकी शादी हो चुकी थी मेरी छोटी बहन के साथ जो हुआ उसे याद करके आज भी मैं रो पड़ता हूं

Horror story


हमारी लाइफ बहुत अच्छे से चल रही थी हम सब बहुत खुश थे लेकिन पता नहीं हमारी खुशियों को किसकी नजर लग गई हमारे घर के पास में ही हमारे रिश्तेदार भी रहते थे और मेरी छोटी बहन अक्सर उनके यहां खेलने जाया करती थी उनका घर पास में ही था

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हमारी कॉलोनी भी बहुत सेफ थी इसीलिए हमें उसकी ज्यादा चिंता भी नहीं होती थी एक रात ऐसे ही मेरी बहन कॉलोनी के एक खाली पड़े ग्राउंड में खेल रही थी लेकिन उस प्लॉट में एक जगह पर किसी ने टोटका किया हुआ था

 और खेलते खेलते मेरी बहन का पैर उस टोटके पर पड़ गया उसके बाद वह घर तो आ गई लेकिन अगली सुबह ही उसके चेहरे पर तीन-चार बड़े बड़े पिंपल्स निकल आए उसको हल्का हल्का बुखार भी हो गया था तो मैं उसके लिए दवाई ले आया

हमेशा खुश रहने वाली मेरी बहन बिल्कुल गुमसुम बैठी थी उसकी आंखें भी अजीब सी लग रही थी लेकिन दवाई लेने के बाद भी उसकी तबीयत ठीक नहीं हो रही थी बल्कि और भी बिगड़ती जा रही थी उसने मम्मी को बताया कि एक काली परछाई नजर आ रही है

उस परछाई ने मुझसे कहा कि अब जाने का वक्त आ गया है मेरी बहन बोली कि अब उसके पास ज्यादा दिन नहीं है यह सुनकर मेरी मम्मी की आंखों में पानी आ गया हम उसको हौसला देते कि तुम घबराओ मत सब कुछ ठीक हो जाएगा थोड़ा सा बुखार ही तो है तुम बिल्कुल ठीक हो जाओगी

 लेकिन ऐसा नहीं हुआ अगली सुबह 9:00 बजे तक मेरी बहन की हालत बहुत खराब हो गई वह उल्टी करने लगी थी और उसकी उल्टी में मांस के टुकड़े नजर आ रहे थे तो हमने जल्दी से बड़ी बहन के पास फोन किया उसको सारी बात बताई तो वह जीजाजी और रिश्तेदारों को लेकर जल्दी से हमारे यहां पहुंच गई

 मेरी छोटी बहन बार-बार उस काली परछाई को देखने की बात कर रही थी उसको सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी थी हम जल्दी से उसको हिसार के संजीवनी हॉस्पिटल में लेकर गए तो डॉक्टर ने उसको सीधे आईसीयू में भर्ती कर लिया

लेकिन थोड़ी देर बाद में बताया कि इसकी हालत बहुत सीरियस है वह बार-बार बहुत डर रही है जैसे कि उसको कोई सदमा लगा हो डॉक्टर ने बताया कि उसको अगली सुबह तक आईसीयू में ही रखना होगा हम सब बाहर ही बैठे रहे अगली सुबह हम एक बाबा के पास भी गए

तो उस बाबा ने बताया कि आपकी कॉलोनी के प्लॉट में किसी ने टोटका करवाया था और उसी टोटके के ऊपर तुम्हारी लड़की का पैर पड़ गया बाबा ने बताया कि वह बहुत शक्तिशाली टोटका था और उसको तोड़ने के लिए हमें दो बकरों की बलि देनी पड़ेगी

तभी आपकी लड़की बच पाएगी लेकिन हमारे रिश्तेदारों को यह बात ठीक नहीं लगी किसी जानवर की बलि देना उनको सही नहीं लगा क्योंकि हम लोग मांस नहीं खाते थे लेकिन आधी रात में ही मेरी बहन की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई

डॉक्टर ने कहा आप इसको जल्दी से हिसार के जिंदल हॉस्पिटल लेकर जाओ इतनी डिफिकल्ट पेशेंट को हमने आज तक नहीं देखा मेरी मां रो रही थी पर किसी तरह हम लोग जल्दी से एंबुलेंस में लेकर जिंदल हॉस्पिटल पहुंचे उस वक्त सुबह के 4:00 बज रहे थे

 हॉस्पिटल मैं पहुंचते ही डॉक्टर उसे जल्दी से आईसीयू में लेकर गए लेकिन उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी उसकी बॉडी का सारा खून तेजी से खराब होता जा रहा था अब तो वह बोल भी नहीं पा रही थी उसकी पूरी बॉडी में मेडिकल सुनिया लगी हुई थी

 वह अपनी जिंदगी और मौत से लड़ रही थी और हम सब को भी लगने लगा था हमने उस बाबा की बात मान लेनी चाहिए थी उसने कहा था कि यह चीजें ऐसी होती हैं कि किसी की जान लिए बिना वापस नहीं जाति सब लोग मान तो रहे थे कि उनको बलि देनी चाहिए

लेकिन कोई कुछ कर नहीं रहा था बस आपस में ही बातें किए जा रहे थे और फिर तीन-चार दिन उसको आईसीयू में रखने के बाद जिंदल हॉस्पिटल वालों ने भी हमें जवाब दे दिया बोला कि आप इसे जल्दी से चंडीगढ़ पीजीआई में लेकर जाओ इसकी पूरी बॉडी ने काम करना बंद कर दिया है

हम लोगों ने उसको बचाने की बहुत कोशिश करी लेकिन सब बेकार था आखिर में मेरे जीजाजी ने उसके सिर के ऊपर से 10000 रुपए सात बार बकरे के नाम पर घुमाए और उस बाबा के पास जाने के लिए निकल गए और हम भी उसको लेकर जल्दी से चंडीगढ़ पीजीआई हॉस्पिटल में पहुंचे

 लेकिन वहां डॉक्टर ने हमसे कहा कि हम आपको झूठी तसल्ली नहीं देना चाहते इस लड़की का बचना अब बिल्कुल नामुमकिन है इसकी पूरी बॉडी में इंफेक्शन फैल चुका है किसी भी पल इसकी मौत हो सकती है तभी मेरी आंखों में आंसू आ गए मुझे हमारे बचपन के पल याद आने लगे मैं अपनी बहन के साथ आईसीयू में ही बैठा था

 मैंने उसको कहा कि मेरी आवाज सुन सकती हो तो अपना हाथ हिलाओ तो उसने थोड़ी सी उंगली हिलाई और मेरी तरफ देखने की कोशिश भी की लेकिन उसकी आंखें ऊपर की और घूम चुकी थी और वह उसका आखिरी पल था उसकी मौत हो गई

 सिर्फ 15 साल की उम्र में मेरी बहन हमको छोड़कर चली गई मम्मी का रो रो कर बुरा हाल था हमने जीजा जी को भी फोन करके वापस बुला लिया बोला अब बाबा के पास जाने की कोई जरूरत नहीं है मेरी बहन चली गई है लेकिन हमें इस बात का अफसोस रहेगा कि अगर हमने उस बाबा की बात मान लेते और दो बकरों की बलि दे दी होती तो आज शायद मेरी बहन जिंदा होती और हमारे साथ होती
भूतों की कहानी भूतों की कहानी Reviewed by Anand Singh on May 20, 2020 Rating: 5

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