लालची साधु और विधवा
अमीर या गरीब परेशानी में हर कोई मदद लेता है और ऐसे ही एक दिन एक बूढ़ी औरत बीरबल के पास मदद के लिए आई और बोली मेरी मदद कीजिए हुजूर मेरे साथ धोखा हुआ है अब मेरे पास कुछ भी नहीं बचा कृपया मेरी मदद कीजिए इतना बोल कर वह बूढ़ी औरत रोने लगी
बीरबल बोला कृपया बैठ जाइए और मुझे आराम से बताइए आखिर हुआ क्या है गुड़िया बोली यह एक लंबी कहानी है 6 महीने पहले मैं तीर्थ यात्रा पर जाना चाहती थी लेकिन कुछ अपने पैसों की चिंता थी कि कहीं यह चोरी ना हो जाए जब मैं बाहर जाऊं
आखिरकार मैंने एक सन्यासी से मिलने का फैसला किया जिसके बारे में मैंने सुना था वह गांव के बाहर ही रहता था मैंने सन्यासी महाराज से कहा मुझे आपकी मदद की जरूरत है तभी सन्यासी कहते हैं मैं किस तरह तुम्हारी मदद कर सकता हूं
बूढ़ी औरत बोली मैं एक तीर्थ यात्रा पर जा रही हूं और मेरा यहां कोई भी नहीं है जो मेरे पीछे मेरे धन की रक्षा कर सकें इसीलिए मैं यहां आई हूं ताकि यह धन मैं आपके पास रख सकूं जब तक मैं वापस नहीं आ जाती
सन्यासी बोला मैं यह नहीं देख सकता बुढ़िया बोली कृपया सुनिए मेरा यह थैला तांबे के सिक्कों से भरा पड़ा है यह सब मैंने पाई पाई करके जोड़ा है और मेरे पास कोई ऐसी जगह नहीं है जहां मैं इसे रख सकूं कृपया करके इसे आप अपने पास रख लीजिए मैं जैसे ही वापस आऊंगी आकर आप से ले लूंगी
सन्यासी बोला मैं माफी चाहता हूं मैं इन दीन दुनिया के चक्कर में नहीं पड़ना चाहता मैं पैसों को हाथ नहीं लगा सकता लेकिन मैं तुम्हें इजाजत दे सकता हूं कि तुम मेरी झोपड़ी के आसपास कोई गड्ढा खोदकर इसे अपने हाथ से दबा दो तभी बुढ़िया औरत बोली आप बहुत दयालु हैं
बुढ़िया औरत अंदर जाकर झोपड़ी के कोने में गड्ढा खोदती है और कहती है यहां ये सुरक्षित रहेंगे सन्यासी दीवार के पीछे से यह सब कुछ देख रहा था कि उस औरत ने वह सिक्के कहां छुपाए हैं बुढ़िया औरत बोली मैं आपकी बहुत आभारी हूं अब मैं अपनी तीर्थ यात्रा पर जा सकती हूं
फिर बूढ़ी औरत कुछ दिनों के बाद आती है और कहती है सन्यासी महाराज मैं अपना धन लेने आई हूं सन्यासी बोला तुम किस धन कि बात कर रही हो बूढ़ी औरत बोली वही सिक्कों का थैला जो मैंने तीर्थ यात्रा पर जाने से पहले आप की झोपड़ी में गाड़ा था
सन्यासी बोला तुम्हें याद है कि तुम कहां गाड़ कर गई थी मुझसे मत पूछो जाओ और अंदर जाकर निकाल लो वह बूढ़ी औरत अंदर जाकर उस जगह खोदने लगती है जहां उसने सिक्के दवाएं थे और कहती है यहां तो है ही नहीं मेरा सारा धन गायब हो गया और चौक कर सन्यासी की तरफ भागती है
और उससे अपने पैसे के बारे में पूछती है अरे सन्यासी महाराज सिक्के का थैला जो मैंने वहां गाड़ा था वो वहां नहीं है मेरे सिक्के कहां हैं सन्यासी कहता है जाओ यहां से मुझे इस सारी झंझट से परेशान मत करो लेकिन 6 महीने पहले मैंने वह धन वहीं दबाया था
सन्यासी बोला यह हो सकता है लेकिन मैं इस संसारी मोह माया की तरफ बिल्कुल नहीं देखता मेरे दिमाग में सिर्फ एक ही ख्याल है भगवान भगवान और सिर्फ भगवान बीरबल को सारी बात बता देती है और कहती है मैं और क्या कर सकती थी इसलिए आप से मदद मांगने आई हूं
कृपया मेरी मदद कीजिए हुजूर मैं तो बर्बाद हो गई हूं बीरबल बोला क्या ऐसा हो सकता है कि उस सन्यासी ने तुम्हारे सिक्के चुराए हैं बूढ़ी औरत बोली मुझे यकीन है उसी ने चुराए हैं लेकिन इसका कोई सबूत नहीं है बीरबल बोला तो चलो पता लगाते हैं
जो भी मैं कह रहा हूं उसे ध्यान से सुनना बीरबल और वह औरत सन्यासी की झोपड़ी के पास जाते हैं बूढ़ी औरत खेती है यही है वह जगह हुजूर बीरबल कहता है आप जाओ अब पेड़ के पीछे छुप जाओ और याद रहे तुम्हें जब ही आना है जब मैं उसके पैसों को दूसरी बार हाथ लगाऊ
ना एक पल पहले ना एक पल बाद में बूढ़ी औरत बोली मैं वैसा ही करूंगी जैसा आपने कहा है तभी बीरबल झोपड़ी के अंदर जाता है और देखता है कि सन्यासी अपने कमरे के बीच में बैठा है और ध्यान में मग्न है बीरबल कहता है मुझे आशीर्वाद दीजिए सन्यासी महाराज
सन्यासी बोले तुम्हारी आयु लंबी हो बीरबल बोला यहां मैं आपसे मदद मांगने आया हूं लेकिन मुझे लगता है इस परेशानी में आप मेरी कोई मदद नहीं कर पाएंगे सन्यासी बोला बताओ बच्चा मुझे अपनी परेशानी बताओ बीरबल बोला नहीं महाराज आप रहने दीजिए आप एक सन्यासी हैं और मेरी परेशानियों के लिए मैं आपको परेशान नहीं कर सकता
तभी सन्यासी सोचने लगता है यह संदूक लेकर वापस जा रहा है इसमें जरूर कुछ कीमती समान होगा बीरबल बोला लेकिन इस जालिम दुनिया में मैं किस पर विश्वास कर सकता हूं मेरा मार्गदर्शन करें महाराज सन्यासी बोला पूरी बात करो बच्चा बीरबल बोला मुझे अजमेर जाकर अपने भाई से मिलना है क्या यह कीमती हीरे मैं आपके पास छोड़ सकता हूं
सन्यासी बोला बच्चा धन का ख्याल आना भी मेरे लिए पाप है लेकिन बच्चा मैंने तुम्हारी मदद करने का वादा किया है और भगवान का एक दास होने के नाते मैं अपने वादे से मुकर नहीं सकता जैसा कि मैं धन को हाथ नहीं लगाता तुम इस संधू को झोपड़े में दबा सकते हो यह यहां पर सुरक्षित रहेंगे बीरबल बोला आप कितने दयावान हैं मैं आपका आभारी हूं
बूढ़ी औरत इशारा देखते ही अंदर आ जाती है तभी सन्यासी चौक जाता है यह यहां कैसे आ गई क्या होगा अगर इसने यहां अपने धन के लिए चिल्लाना शुरू कर दिया मैं उन तांबे के सिक्के के लिए इन कीमती हीरो को नहीं जाने दे सकता बिल्कुल नहीं तभी बूढ़ी औरत कहती है भगवान का शुक्र है
सन्यासी बोला तुम आ गई मैं तुम्हारे सिक्कों के थैले के बारे में बहुत सोचा कुछ दिन तुमने गलत जगह पर ढूंढा होगा तुमने उस दिन अपने सिक्के को उस कोने में नहीं ढूंढा होगा गुड़िया औरत बोली लेकिन इतना ही कहीं तभी सन्यासी उसका हाथ पकड़कर उसे झोपड़ी के दूसरे कोने में ले जाता है
और बूढ़ी औरत वैसा ही करती है जैसा कि वह कहता है गुड़िया औरत बोली आपने सही कहा मुझे अपने सिक्कों का थैला मिल गया सन्यासी बोला बेवकूफ औरत तुम कब से अपने सिक्कों को गलत जगह पर ढूंढ रही थी धन से चिंता आती है चिंता से यादाश्त कमजोर हो जाती है और फिर उसका दिमाग खराब हो जाता है
कि तुम सोच सकते हो इस औरत ने तो मेरे ऊपर इस धन को चोरी करने का आरोप लगा दिया था तो बच्चा तुम अपनी संदूक को यहां झोपड़ी में कहीं भी गाड़ सकते हो और दबाने की जगह याद रखना मुझे तो यह संस्कारी मुंह माया समझ में ही नहीं आती
बीरबल बोला मुझे दिखाई दे रहा है बीरबल का एक सहायक दौड़ कर आता है और कहता है हुजूर आपके भाई आपसे मिलने आए हैं आप जल्द से जल्द चलिए बीरबल भोला ओ हो अब तो मुझे अजमेर जाने की कोई जरूरत नहीं है मैं आपका बहुत आभारी हूं महाराज बीरबल संदूक लेकर बाहर चला जाता है और सन्यासी दरवाजे पर खड़ा देखता ही रह जाता है वह समझ ही नहीं पाता कि उसके साथ क्या हुआ
बीरबल बोला कृपया बैठ जाइए और मुझे आराम से बताइए आखिर हुआ क्या है गुड़िया बोली यह एक लंबी कहानी है 6 महीने पहले मैं तीर्थ यात्रा पर जाना चाहती थी लेकिन कुछ अपने पैसों की चिंता थी कि कहीं यह चोरी ना हो जाए जब मैं बाहर जाऊं
आखिरकार मैंने एक सन्यासी से मिलने का फैसला किया जिसके बारे में मैंने सुना था वह गांव के बाहर ही रहता था मैंने सन्यासी महाराज से कहा मुझे आपकी मदद की जरूरत है तभी सन्यासी कहते हैं मैं किस तरह तुम्हारी मदद कर सकता हूं
लालची साधु और विधवा Akbar Birbal story
बूढ़ी औरत बोली मैं एक तीर्थ यात्रा पर जा रही हूं और मेरा यहां कोई भी नहीं है जो मेरे पीछे मेरे धन की रक्षा कर सकें इसीलिए मैं यहां आई हूं ताकि यह धन मैं आपके पास रख सकूं जब तक मैं वापस नहीं आ जाती
सन्यासी बोला मैं यह नहीं देख सकता बुढ़िया बोली कृपया सुनिए मेरा यह थैला तांबे के सिक्कों से भरा पड़ा है यह सब मैंने पाई पाई करके जोड़ा है और मेरे पास कोई ऐसी जगह नहीं है जहां मैं इसे रख सकूं कृपया करके इसे आप अपने पास रख लीजिए मैं जैसे ही वापस आऊंगी आकर आप से ले लूंगी
सन्यासी बोला मैं माफी चाहता हूं मैं इन दीन दुनिया के चक्कर में नहीं पड़ना चाहता मैं पैसों को हाथ नहीं लगा सकता लेकिन मैं तुम्हें इजाजत दे सकता हूं कि तुम मेरी झोपड़ी के आसपास कोई गड्ढा खोदकर इसे अपने हाथ से दबा दो तभी बुढ़िया औरत बोली आप बहुत दयालु हैं
बुढ़िया औरत अंदर जाकर झोपड़ी के कोने में गड्ढा खोदती है और कहती है यहां ये सुरक्षित रहेंगे सन्यासी दीवार के पीछे से यह सब कुछ देख रहा था कि उस औरत ने वह सिक्के कहां छुपाए हैं बुढ़िया औरत बोली मैं आपकी बहुत आभारी हूं अब मैं अपनी तीर्थ यात्रा पर जा सकती हूं
फिर बूढ़ी औरत कुछ दिनों के बाद आती है और कहती है सन्यासी महाराज मैं अपना धन लेने आई हूं सन्यासी बोला तुम किस धन कि बात कर रही हो बूढ़ी औरत बोली वही सिक्कों का थैला जो मैंने तीर्थ यात्रा पर जाने से पहले आप की झोपड़ी में गाड़ा था
सन्यासी बोला तुम्हें याद है कि तुम कहां गाड़ कर गई थी मुझसे मत पूछो जाओ और अंदर जाकर निकाल लो वह बूढ़ी औरत अंदर जाकर उस जगह खोदने लगती है जहां उसने सिक्के दवाएं थे और कहती है यहां तो है ही नहीं मेरा सारा धन गायब हो गया और चौक कर सन्यासी की तरफ भागती है
और उससे अपने पैसे के बारे में पूछती है अरे सन्यासी महाराज सिक्के का थैला जो मैंने वहां गाड़ा था वो वहां नहीं है मेरे सिक्के कहां हैं सन्यासी कहता है जाओ यहां से मुझे इस सारी झंझट से परेशान मत करो लेकिन 6 महीने पहले मैंने वह धन वहीं दबाया था
सन्यासी बोला यह हो सकता है लेकिन मैं इस संसारी मोह माया की तरफ बिल्कुल नहीं देखता मेरे दिमाग में सिर्फ एक ही ख्याल है भगवान भगवान और सिर्फ भगवान बीरबल को सारी बात बता देती है और कहती है मैं और क्या कर सकती थी इसलिए आप से मदद मांगने आई हूं
कृपया मेरी मदद कीजिए हुजूर मैं तो बर्बाद हो गई हूं बीरबल बोला क्या ऐसा हो सकता है कि उस सन्यासी ने तुम्हारे सिक्के चुराए हैं बूढ़ी औरत बोली मुझे यकीन है उसी ने चुराए हैं लेकिन इसका कोई सबूत नहीं है बीरबल बोला तो चलो पता लगाते हैं
जो भी मैं कह रहा हूं उसे ध्यान से सुनना बीरबल और वह औरत सन्यासी की झोपड़ी के पास जाते हैं बूढ़ी औरत खेती है यही है वह जगह हुजूर बीरबल कहता है आप जाओ अब पेड़ के पीछे छुप जाओ और याद रहे तुम्हें जब ही आना है जब मैं उसके पैसों को दूसरी बार हाथ लगाऊ
ना एक पल पहले ना एक पल बाद में बूढ़ी औरत बोली मैं वैसा ही करूंगी जैसा आपने कहा है तभी बीरबल झोपड़ी के अंदर जाता है और देखता है कि सन्यासी अपने कमरे के बीच में बैठा है और ध्यान में मग्न है बीरबल कहता है मुझे आशीर्वाद दीजिए सन्यासी महाराज
सन्यासी बोले तुम्हारी आयु लंबी हो बीरबल बोला यहां मैं आपसे मदद मांगने आया हूं लेकिन मुझे लगता है इस परेशानी में आप मेरी कोई मदद नहीं कर पाएंगे सन्यासी बोला बताओ बच्चा मुझे अपनी परेशानी बताओ बीरबल बोला नहीं महाराज आप रहने दीजिए आप एक सन्यासी हैं और मेरी परेशानियों के लिए मैं आपको परेशान नहीं कर सकता
तभी सन्यासी सोचने लगता है यह संदूक लेकर वापस जा रहा है इसमें जरूर कुछ कीमती समान होगा बीरबल बोला लेकिन इस जालिम दुनिया में मैं किस पर विश्वास कर सकता हूं मेरा मार्गदर्शन करें महाराज सन्यासी बोला पूरी बात करो बच्चा बीरबल बोला मुझे अजमेर जाकर अपने भाई से मिलना है क्या यह कीमती हीरे मैं आपके पास छोड़ सकता हूं
सन्यासी बोला बच्चा धन का ख्याल आना भी मेरे लिए पाप है लेकिन बच्चा मैंने तुम्हारी मदद करने का वादा किया है और भगवान का एक दास होने के नाते मैं अपने वादे से मुकर नहीं सकता जैसा कि मैं धन को हाथ नहीं लगाता तुम इस संधू को झोपड़े में दबा सकते हो यह यहां पर सुरक्षित रहेंगे बीरबल बोला आप कितने दयावान हैं मैं आपका आभारी हूं
बूढ़ी औरत इशारा देखते ही अंदर आ जाती है तभी सन्यासी चौक जाता है यह यहां कैसे आ गई क्या होगा अगर इसने यहां अपने धन के लिए चिल्लाना शुरू कर दिया मैं उन तांबे के सिक्के के लिए इन कीमती हीरो को नहीं जाने दे सकता बिल्कुल नहीं तभी बूढ़ी औरत कहती है भगवान का शुक्र है
सन्यासी बोला तुम आ गई मैं तुम्हारे सिक्कों के थैले के बारे में बहुत सोचा कुछ दिन तुमने गलत जगह पर ढूंढा होगा तुमने उस दिन अपने सिक्के को उस कोने में नहीं ढूंढा होगा गुड़िया औरत बोली लेकिन इतना ही कहीं तभी सन्यासी उसका हाथ पकड़कर उसे झोपड़ी के दूसरे कोने में ले जाता है
और बूढ़ी औरत वैसा ही करती है जैसा कि वह कहता है गुड़िया औरत बोली आपने सही कहा मुझे अपने सिक्कों का थैला मिल गया सन्यासी बोला बेवकूफ औरत तुम कब से अपने सिक्कों को गलत जगह पर ढूंढ रही थी धन से चिंता आती है चिंता से यादाश्त कमजोर हो जाती है और फिर उसका दिमाग खराब हो जाता है
कि तुम सोच सकते हो इस औरत ने तो मेरे ऊपर इस धन को चोरी करने का आरोप लगा दिया था तो बच्चा तुम अपनी संदूक को यहां झोपड़ी में कहीं भी गाड़ सकते हो और दबाने की जगह याद रखना मुझे तो यह संस्कारी मुंह माया समझ में ही नहीं आती
बीरबल बोला मुझे दिखाई दे रहा है बीरबल का एक सहायक दौड़ कर आता है और कहता है हुजूर आपके भाई आपसे मिलने आए हैं आप जल्द से जल्द चलिए बीरबल भोला ओ हो अब तो मुझे अजमेर जाने की कोई जरूरत नहीं है मैं आपका बहुत आभारी हूं महाराज बीरबल संदूक लेकर बाहर चला जाता है और सन्यासी दरवाजे पर खड़ा देखता ही रह जाता है वह समझ ही नहीं पाता कि उसके साथ क्या हुआ
लालची साधु और विधवा
Reviewed by Anand Singh
on
May 22, 2020
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