किस्मत का खेल

एक गांव में फतिंगन पंडित नाम का एक लड़का रहता था और उसके साथ उसकी मां भी रहती थी वो मेहनत मजदूरी करके अपने बेटे को पढ़ाती थी लेकिन फतिंगन पंडित का पड़ने में दिल नहीं लगता था वो स्कूल जाने के लिए जब भी घर से निकलता तो अपना बस्ता खेत में रख देता और खेलने निकाल जाता था

देखते देखते कई साल गुजर गए एक दिन उसकी मां ने सोचा क्यों ना अपने बेटे की परीक्षा ली जाए कि मेरा बेटा कुछ पढ़ता लिखता है भी या नहीं एक दिन उसकी मां ने अपने बेटे से पूछा कि बेटा ये बताओ कि आज मैने कुल कितनी रोटियां बनाई है

Kismat ka khel hindi story


उसकी मां अपने बेटे से पूछ कर किसी काम से बाहर चली गई तभी फतिंगन पंडित ने सोचा कि क्योंना में रोटियां गिन लू और वो जल्दी से गया रोटियां गिन कर अपनी जगह पर जाकर बैठ गया उसकी मां जब लौट कर आई फिर उसकी मां ने अपने बेटे से दुबारा पूछा बताओ बेटा मैने आज कुल कितनी रोटियां बनाई है

किस्मत का खेल Hindi Story


बेटे ने अपना बस्ता उठाया और उसमे से एक किताब निकली और उसे उलटने पुलाटने लगा और बोला मां अपने आज कुल नौ रोटी बनाई है उसकी मां अपने बेटे से बहुत खुश हुई और बोली कि मेरा बेटा बहुत अच्छी तरह पढ़ रहा है ओर बहुत जानकर है

एक दिन फतिंगन पंडित खेलते हुए आ रहे थे तो उसने देखा कि एक गधा गढ़े में गिरा हुआ है लेकिन वो निकाल नहीं पा रहा है ये देखकर वो अपने घर आ गया उस गधा का जो मालिक था वो अपने गधे को ढूंढ रहा था और गांव के लोगो से पूछ रहा था

तभी उस गांव के किसी सक्स ने उसे बताया कि तुम फतिंगन पंडित के पास जाओ वो बहुत जानकार है उसकी बात सुकर उस गधा का मालिक पंडित के पास भागते हुए गया और बोला पंडितजी मेरा गधा पता नहीं कहा चला गया है मुझे नहीं मिल रहा

पंडित ने कहा तुम परेशान मत हो तुम्हारा गधा मी जाएगा क्योंकि पंडित जनता था कि उसका गधा कहां है तभी पंडित ने अपना पत्रा उठाया और उसे उलाटने पुलाटने लगा और बोला गांव के स्कूल के पास एक गड्ढा है उसी गड्ढे मे तुम्हारा गधा गिर गया है जाओ निकाल लाओ

अब पूरे गांव में पंडित कि चर्चा होने लगी कि फतिंगन पंडित बहुत जानकार है ये बात वहां के राजा के पास पहुंची है तो राजा ने सोचा कि ऐसे पंडित को हमारे राज्य में होना चाहिए तभी राजा पंडित को लेने जाते हैं और पंडित के घर पहुंचते है

पंडित से कहते है कि तुम मेरे साथ चलो मैं तुम्हे अपना मंत्री बनाऊंगा पंडित कि मां ने जब राजा की ये बात सुनी तो उसने अपने बेटे को राजा के साथ भेज दिया और राजा पंडित को लेकर जाने लगे

जाते जाते राजा ने सोचा कि क्यों ना पंडित कि परीक्षा ली जाए चलते चलते राजा ने एक फितंगी पकड़ ली और पंडित से पूछा बताओ मेरे मुट्ठी में क्या है इस प्रश्न को सुनकर पंडित काफी दुविधा में पड़ गया कि अब क्या किया जाए पंडित के मन में आता है कि क्यों ना मै राजा के सामने अपनी सच्चाई कबूल कर लू शायद राजा मुझ रहम कहकर मुझे छोड़ दे

तो वो अपनी सच्चाई बताने की जैसे ही शुरुआत करता है वो बोलता है कि अब ये फतिंगन जैसे ही राजा फतिंगन का नाम सुनता है वो खुश हो जाता है दरअसल वो पंडित ये कहने वाला होता है कि अब ये फतिंगन आपका सेवक है और इसके बाद वो अपनी पूरी कहानी सुनने वाला होता है

 लेकिन राजा सिर्फ फतिंगन सुनते ही उन्हें लगता है कि पंडित को पता चल चुका है कि मैंने फतिंगी को पकड़ा है राजा पंडित को खुशी खुशी अपने महल लेकर पहुंचता है

कुछ दिन के बाद एक दिन रानी अपना नौ लक्खा हार खूटी में टांग देती है और राजा के दरबार में एक नौकरानी रहती थी जिसका नाम निंदिया था उसने उस हार को चुरा लिया और अगले दिन उस हार को वहां नहीं देखा तो उसे बड़ा दुख हुआ और वो रोने लगी

जब राजा ने रानी को उदास देखा तब रानी से पूछा रानी तुम ये बताओ तुम उदास क्यों हो तो रानी ने  हार खो जाने की सूचना बताई तब राजा ने कहा तुम चिंता क्यों करती हो फतिंगन पंडित कब काम आएंगे

तब राजा ने फतिंगन पंडित को बुलवाया उन्हें सारी कहानी बताई पंडित ने कहा मै आको कल सुबह बताऊंगा की हर कहां है इतना कहकर वहां से चला गया और शाम को भोजन करने के पश्चात जब सोने गया तब उसे नींद नहीं आ रही थी कि सुबह मै राजा को क्या जवाब दूंगा

और जहां पंडित सो रहा था और उसी के बगल में उस नौकरानी का भी कमरा था जिसने हार चोरी किया था इधर पंडित अपने बिस्तर पर लेटे लेटे गुनगुना रहे थे आई निंदिया ले गई हरवा इसका मतलब था कि नींद तो आ रही है मगर उस हार की चिंता ने नींद उड़ा रखी है

 नौकरानी ने जब पंडित के बात सुनी तो उसने सोचा कि पंडित को पता चल गया है अब राजा मुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे नौकरानी दौड़ती हुई पंडित के पास आई और पंडित से हाथ जोड़ते हुए बोली मुझे माफ़ कर दो हार मैने ही चुराया है राजा को मत बताना नहीं तो राजा मुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे

तब पंडित ने कहा कि ठीक है मै नहीं बताऊंगा लेकिन तूने हार रखा कहा है तो नौकरानी बोली हार को मैंने जाहा कूड़ा फेकते है वहीं दबा रखा है पंडित ने नौकरानी को कहा कि तुम जाओ मै राजा को नहीं बताऊंगा नौकरानी चली जाती है

अगले दिन सुबह जब पंडित आते है तो राजा पंडित से कहते है कि बताओ पंडित हार किसने लिया है पंडित अपना पोथी पत्रा उलाटने पुलाटने लगे और बोले राजा रानी का हार किसी ने नहीं लिया रानी का हार खूंटी से नीचे गिर गया और नौकरानी ने झाड़ू लगाया तो हार कूड़े के साथ कूड़ेदान में चला गया

आप कूड़ेदान को साफ़ करवाइए हार मिल जाएगा राजा ने ऐसा ही किया और राजा को हार मिल गया राजा पंडित से बहुत खुश हुए और आधा राज पाठ पंडित को दे दिया पंडित और उसकी मां दोनों खुशी खुशी रहने लगे।



किस्मत का खेल किस्मत का खेल Reviewed by Anand Singh on May 04, 2020 Rating: 5

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