अच्छे बुरे की पहचान

सुरभि नाम की एक लड़की समुद्र के किनारे रेत का घर बना रही थी उसने अपने पैर पर बहुत सारी रेट थोप ली उसके बाद धीरे-धीरे उसने अपना पैर निकाला और बोली वाह यह तो बहुत अच्छा घर बन गया फिर उसने मुट्ठी में रेत भरकर दबाया और एक गुवंद बना दिया और उसके आसपास बिखरी हुई शिप को इकट्ठा किया और अपने घर के चारों और लगा दिया

उसके पास में ही एक माचिस की तिल्ली पड़ी थी उसने उस तीली को उठाया और उसमें कागज चिपका कर उसको झंडे की तरह खड़ा कर दिया जिससे उसका घर बहुत सुंदर दिखने लगा और सुरभि मन ही मन खुश हो रही थी तभी अचानक समुंद्र की एक लहर उठी और सुरभि के घर को तहस-नहस करके बहा ले गई

Acche bure ki pahchan moral story


 सारी सीपियां इधर-उधर बिखर गई यह देखते ही सुरभि की आंखों में आंसू छल छला गए और वह रोने लगी रोते रोते गुस्से में बोली तुम बहुत गंदे हो तुमने मेरा घर तोड़ दिया मैंने बड़ी मेहनत से बनाया था तभी वहीं से आवाज आई नहीं सुरभि नहीं मैं गंदा नहीं हूं मैं सबके बहुत काम आता हूं

अच्छे बुरे की पहचान moral story 


तभी सुरभि ने हैरानी से पूछा तुम कौन हो उसने कहा मैं एक समुंद्र हूं जिसे तुम गंदा कहती हो तुमने जो घर बनाया था वह रेत का था रेत के घर भी भला कभी मजबूत होते हैं उन्हें तो कभी ना कभी टूटना ही पड़ता है तब सुरभि बोली हां तुम सही कह रहे हो

समुंद्र बोला मैं अनेक जीव जंतुओं को घर देता हूं मेरे अंदर मछली केकड़ा सांप समुद्री घोड़े मेंढक जैसे आदि अनेक जीव जंतु का संसार बसा हुआ है थोड़ी देर बाद समुंद्र फिर बोली कि क्या तुम्हें पता है यह शंख सीपियां आदि चीजें इसी समुंद्री से ही मिलती है शिप में ही मोती होता है

 तुम्हारी मम्मी की अंगूठी में जो मोती है वह मेरे अंदर से ही निकाला गया है तब सुरभि बोली अच्छा मैं तो समझती थी कि मोती पत्थरों से बनाते हैं फिर समुंद्र ने कहा मेरे अंदर कई तरह के रत्न हैं मैं रत्नों का खान हूं इसलिए मुझे कई लोग रत्नाकर भी कहते हैं

तब सुरभि ने मुंह बनाकर बोला तुम्हारा पानी बहुत खारा है तब समुंद्र बोला मेरा पानी भले ही खारा है लेकिन मुझसे होने वाली वर्षा का पानी मीठा होता है और सुरभि तुम्हें एक बात पता है मेरे खारे पानी से ही नमक बनता है और नमक के बिना कोई सा भोजन बना लो लेकिन वह अच्छा नहीं लगेगा यही नहीं कई लोग तो मछली पकड़ कर ही गुजारा करते हैं इतना ही नहीं एक देश से दूसरे देश में जाने के लिए मैं उन्हें रास्ता देता हूं

 फिर सुरभि ने कहा कि मैंने कल रात को देखा था कि तुम्हारा पानी बहुत दूर-दूर तक फैला हुआ था तुम्हारी लहरें बहुत ऊंची ऊंची उछल रही थी तब समुद्र ने कहा कि कल पूर्णिमा की रात थी इस रात को चांद पूरा होता है पानी में चांद की छाया देखकर मुझे चांद को छूने का मन करता है मुझे लगता है कि चांद मुझे बुला रहा है पर मैं कभी उस चांद तक नहीं पहुंच पाया

फिर सुरभि ने कहा बताओ समुंद्र तुम्हारे दूसरी तरफ उस पार क्या है मुझे तो केवल पानी ही पानी दिखाई देता है तब समुंद्र बोला मेरे दूसरी तरफ कुछ देश है पर वह इतनी दूर हैं कि किसी को दिखाई नहीं देते सिर्फ पानी ही पानी दिखाई देता है इसलिए मुझे अपार और पारावार भी कहते हैं

 तब सुरभि ने कहा तभी तो दादी जी समुद्र की पूजा करती है सचमुच तुम बहुत अच्छे हो सुरभि ने खिलखिलाते हुए कहा अब सुरभि कि समझ में आ गया कि अपने स्वार्थ के लिए हम दूसरों को गंदा कह तो देते हैं किंतु वास्तव में वह गंदे नहीं होते
अच्छे बुरे की पहचान अच्छे बुरे की पहचान Reviewed by Anand Singh on June 03, 2020 Rating: 5

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