सीमा देवी का बलिदान
रेगिस्तान के चारों तरफ चमकती रेत और हरे-भरे सिकोवा के पेड़ गांव की सुंदरता को बढ़ा रहे थे इन्हीं पेड़ों के कारण इस गांव का नाम सिकोवाबाद पड़ा उस गांव के सभी लोग पर्यावरण से बहुत प्यार करते थे
वह गांव के पेड़ पौधों से बहुत प्यार करते थे जैसे कोई मां अपने बच्चों से करती है वह अपने गांव के पेड़ों की जी जान से रक्षा करते थे कुछ दिनों के बाद रामपुर के महाराज का नया महल बन रहा था और उन्हें महल बनाने के लिए बहुत सी लकड़ियों की जरूरत थी
रेगिस्तान में लकड़ियों की बहुत कमी थी राजा ने अपने मंत्रियों के साथ बातचीत की कि हमें शिकोहाबाद गांव से लकड़ी लानी चाहिए वहां सीकोवा के बहुत पेड़ हैं यदि हम उन्हें काट कर ले आए तो महल बन जाएगा
जब दोपहर को सीकोवाबाद के लोग सो रहे थे तो राजा के सिपाहियों ने आकर पेड़ काटना शुरू कर दिया जहां वह पेड़ काट रहे थे उसी के बगल में सीमा देवी का घर था उनके साथ उनकी तीन बेटियां भी रहती थी
जब उन्होंने खरखर की आवाज सुनी तो बाहर आई और सिपाही को पेड़ काटता देख उनके पास गई नम्रता पूर्वक बोली यह पेड़ मत काटो हम इनकी पूजा करते हैं लेकिन सिपाहियों ने उनकी बात नहीं मानी वह मना करते हुए आगे बड़े और बोले हम यह पेड़ काटने आए हैं और काट कर ही जाएंगे हमें राजा का आदेश है
क्योंकि राजा का महल बनना है सीमा देवी बोली क्या राजा का महल किसी की जान से ज्यादा महत्वपूर्ण है यह पेड़ हमारा जीवन है इसलिए इसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है लेकिन सिपाही ने उसकी बात नहीं मानी और पेड़ काटने लगे
पेड़ कटता देख सीमा देवी और उनकी तीनों बेटियां भी उस पेड़ को लपेट कर खड़ी हो गई लेकिन सिपाही ने उन्हें भी काट दिया उन चारों के मरने के बाद भी सिपाही पीछे नहीं हटे शिकोहाबाद के आस-पास के गांव में हाहाकार मच गया
जब रामपुर के महाराज को उन चारों के बलिदान की बात सुनी तो उन्हें बहुत दुख हुआ उन्होंने आदेश दिया कि कोई भी पेड़ नहीं काटेगा यही नहीं राजा ने स्वयं जाकर अपने सिपाहियों की गलतियों के लिए शिकोहाबाद के सभी वासियों से माफी मांगी और उनको कहा कि आज के बाद कोई ऐसी गलती नहीं करेगा
जिसके कारण राजा ने पेड़ कटवाने पर प्रतिबंध लगा दिया यह प्रतिबंध राजा ने अपने परिवार पर भी लागू कर दिया और कहा जो भी इसका उल्लंघन करेगा उसे सजा दी जाएगी और जुर्माना भी सीमा देवी और उनकी पुत्रियों का यह बलिदान बेकार नहीं गया उन्होंने पूरे समाज के सामने उदाहरण रख दिया कि कोई महिला कमजोर नहीं है वह चाहे तो कुछ भी कर सकती है
यह लोग पेड़ों से आज भी प्यार करते हैं वह मृतकों को जलाते नहीं बल्कि धरती के अंदर दफनाते हैं क्योंकि लकड़ियों का प्रयोग ना करना पड़े और पेड़ों को भी ना काटना पड़े वह लोग उसी लकड़ी का प्रयोग करते हैं जो आंधी तूफान में गिर जाते हैं या सूख जाते हैं
वह गांव के पेड़ पौधों से बहुत प्यार करते थे जैसे कोई मां अपने बच्चों से करती है वह अपने गांव के पेड़ों की जी जान से रक्षा करते थे कुछ दिनों के बाद रामपुर के महाराज का नया महल बन रहा था और उन्हें महल बनाने के लिए बहुत सी लकड़ियों की जरूरत थी
रेगिस्तान में लकड़ियों की बहुत कमी थी राजा ने अपने मंत्रियों के साथ बातचीत की कि हमें शिकोहाबाद गांव से लकड़ी लानी चाहिए वहां सीकोवा के बहुत पेड़ हैं यदि हम उन्हें काट कर ले आए तो महल बन जाएगा
सीमा देवी का बलिदान Hindi Story
जब उन्होंने खरखर की आवाज सुनी तो बाहर आई और सिपाही को पेड़ काटता देख उनके पास गई नम्रता पूर्वक बोली यह पेड़ मत काटो हम इनकी पूजा करते हैं लेकिन सिपाहियों ने उनकी बात नहीं मानी वह मना करते हुए आगे बड़े और बोले हम यह पेड़ काटने आए हैं और काट कर ही जाएंगे हमें राजा का आदेश है
क्योंकि राजा का महल बनना है सीमा देवी बोली क्या राजा का महल किसी की जान से ज्यादा महत्वपूर्ण है यह पेड़ हमारा जीवन है इसलिए इसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है लेकिन सिपाही ने उसकी बात नहीं मानी और पेड़ काटने लगे
पेड़ कटता देख सीमा देवी और उनकी तीनों बेटियां भी उस पेड़ को लपेट कर खड़ी हो गई लेकिन सिपाही ने उन्हें भी काट दिया उन चारों के मरने के बाद भी सिपाही पीछे नहीं हटे शिकोहाबाद के आस-पास के गांव में हाहाकार मच गया
जब रामपुर के महाराज को उन चारों के बलिदान की बात सुनी तो उन्हें बहुत दुख हुआ उन्होंने आदेश दिया कि कोई भी पेड़ नहीं काटेगा यही नहीं राजा ने स्वयं जाकर अपने सिपाहियों की गलतियों के लिए शिकोहाबाद के सभी वासियों से माफी मांगी और उनको कहा कि आज के बाद कोई ऐसी गलती नहीं करेगा
जिसके कारण राजा ने पेड़ कटवाने पर प्रतिबंध लगा दिया यह प्रतिबंध राजा ने अपने परिवार पर भी लागू कर दिया और कहा जो भी इसका उल्लंघन करेगा उसे सजा दी जाएगी और जुर्माना भी सीमा देवी और उनकी पुत्रियों का यह बलिदान बेकार नहीं गया उन्होंने पूरे समाज के सामने उदाहरण रख दिया कि कोई महिला कमजोर नहीं है वह चाहे तो कुछ भी कर सकती है
यह लोग पेड़ों से आज भी प्यार करते हैं वह मृतकों को जलाते नहीं बल्कि धरती के अंदर दफनाते हैं क्योंकि लकड़ियों का प्रयोग ना करना पड़े और पेड़ों को भी ना काटना पड़े वह लोग उसी लकड़ी का प्रयोग करते हैं जो आंधी तूफान में गिर जाते हैं या सूख जाते हैं
सीमा देवी का बलिदान
Reviewed by Anand Singh
on
May 04, 2020
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